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विधानसभा में उठी पुरानी पेंशन की मांग को सरकार ने नकारा, सपा का वॉकआउट

प्रकाशित 09/08/2023, 11:45 pm
विधानसभा में उठी पुरानी पेंशन की मांग को सरकार ने नकारा, सपा का वॉकआउट

लखनऊ, 9 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश विधान मंडल के मानसून सत्र के तीसरे दिन पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा सदन में गूंजा। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने प्रश्नकाल में सभी राज्यकर्मियों को पुरानी पेंशन से आच्छादित करने की योजना लागू किए जाने की मांग की।सरकार ने पुरानी पेंशन देने की योजना को नकार दिया। सपा के सदस्यों ने वित्त मंत्री के जवाब से असंतोष जाहिर करते हुए बहिर्गमन किया।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने नई पेंशन योजना को लेकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन से ज्यादा फायदा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) में कर्मचारियों को बड़ी राहत भी दी है। पुरानी पेंशन लागू करने का कोई विचार नहीं है।

उन्होंने कहा कि नई पेंशन स्कीम से कर्मचारियों का ज्यादा फायदा होगा। 5 लाख 59 हजार सरकारी कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम का लाभ लेना शुरू कर दिया है।

3 लाख से अधिक अशासकीय कर्मचारी हैं। नई पेंशन स्कीम में ज्यादा लाभ है। इसलिए इसे लागू किया गया। नई पेंशन जब लागू हुई तब हमारी सरकार नहीं थी। कुल राजस्व का लगभग 59 फीसदी हिस्सा वेतन और पेंशन पर हम खर्च कर देते हैं। ज्यादातर स्टेट नई पेंशन लागू कर रहे हैं। यह स्कीम कर्मचारियों के हित में हैं। इसलिए इसे बदलने की कोई योजना नहीं है।

प्रश्नकाल में सपा के अभय सिंह ने कृषि यंत्रों से जीएसटी समाप्त किए जाने का मामला उठाया।

इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि जीएसटी राज्य सरकार का विषय नहीं है। इस विषय को जीएसटी की मीटिंग में ही उठाया जाना चाहिए। राज्य स्तर से सरकार किसानों को जितनी सुविधाएं दे सकती है, वो दे रही है। किसानों का हित सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।

समाजवादी पार्टी के सदस्य डॉ. आरके वर्मा ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान एक दिन कम से कम पर्यावरण पर चर्चा भी होनी चाहिए।

जवाब में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरी तरह गंभीर है। हाल में राज्य सरकार ने वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया। पेड़-पौधों के माध्यम से पर्यावरण को संतुलित किया जा सकता है।

प्रश्न प्रहर में समाजवादी पार्टी के देवेन्द्र प्रताप सिंह ने विधायक निधि को जीएसटी से मुक्त किए जाने की मांग की। जिस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि विधायक निधि पर कोई जीएसटी नहीं है।

शून्य प्रहर में समाजवादी पार्टी के इकबाल महमूद ने मंगलवार को सदन में गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री के बारे किसी टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराते हुए उसे सदन की कार्यवाही से निकाले जाने की मांग की।

इस पर विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि चौधरी साहब किसानों के मसीहा थे उन्हें किसी दल की सीमा में नहीं बांधा जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि दिखवा लेगें, कुछ अमर्यादित या आपत्तिजनक है तो उसे कार्यवाही से निकाल दिया जायेगा।

हालांकि, इससे पूर्व गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण ने कहा कि उन्होंने चौधरी साहब के बारे में ऐसा कुछ नहीं कहा, जिसको यहां मुददा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे चौधरी साहब की नर्सरी से निकले हैं। वही एक ऐसे मंत्री हैं, जिनके कार्यालय और घर में चौधरी साहब की तस्वीर लगी है। उनके प्रति असम्मान करना तो सोचा भी नहीं जा सकता।

विधानसभा की नई कार्यसंचालन नियमावली में संशोधन को लेकर सदस्यों ने अपने सुझाव दिए। इस पर सदस्यों के सुझाव आने से पहले विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि नई नियमावली में सरलीकरण किया गया है।

उन्होंने कहा कि नई नियमावली संशोधन पर सदस्यों के सुझाव को विचारार्थ स्वीकार किया जाएगा।

सपा के सदस्य लालजी वर्मा ने कहा कि नियमावली में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदन की कार्यवाही साल में कम से कम नब्बे दिन तो चलनी ही चाहिए। सदन जितना लंबा चलेगा, जनता के मुद्दों को उठाया जा सकेगा।

उन्होंने विधानसभाध्यक्ष द्वारा नई नियमावली बनाए जाने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया।

कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि छह दशकों के बाद नई नियमावली में संशोधन निश्चित रूप से ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने सुझाव दिया कि सदन में जो बिल आदि आते हैं, उसके लिए संचालन समिति बनाई जानी चाहिए।

बसपा विधानमंडल दल के नेता ने कहा कि नई नियमावली निश्चित रूप ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने अन्य सदस्यों द्वारा रखे गए सुझावों से संबद्व करते हुए कहा कि निश्चित रूप से विधानसभाध्यक्ष का यह निर्णय स्वागत योग्य है।

राष्ट्रीय लोकदल के अजय कुमार ने कहा नई नियमावली में बजट सत्र की अवधि बढ़नी चाहिए। यह भी व्यवस्था होनी चाहिए कि प्रश्नों का कार्यकाल बढ़ाया जाये।

भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह ने विधायकों से फोन पर हुई बातचीत को सोशल मीडिया पर वायरल करने को विशेषाधिकार हनन में शामिल करने का प्रस्ताव रखा।

विधायकों ने सदन की कार्यवाही अधिक दिन चलाने और प्रश्नकाल का समय एक घंटे 20 मिनट से बढ़ाकर दो घंटे करने का सुझाव दिया।

सपा की सदस्य डॉ. रागिनी ने कहा कि प्रश्नकाल का समय बढ़ाया जाना चाहिए।

इसी तरह का सुझाव सपा के संग्राम सिंह ने भी दिया। उन्होंने कहा कि सत्र की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। उनका कहना था कि अक्सर नए सदस्यों की यह शिकायत रहती है कि पुराने सदस्यों के आगे उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिल पाता, इसलिए जरूरी है कि सत्र की अवधि बढ़ाई जाए।

सपा के ही जगदीश नारायण राय ने कहा कि नियमावली में यह व्यवस्था होनी चाहिए कि जनता के ज्वलंब मुद्दों पर चर्चा के लिए समय निर्धारित हो।

सपा के ही कमाल अख्तर ने कहा कि नई नियमावली में सदस्यों का भत्ता आदि बढ़ाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के सदस्य राकेश सिंह ने कहा कि यह व्यवस्था हो कि आवश्यकता पड़ने पर जब भी कोई सदस्य पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी को बुलाए तो उसे आना चाहिए।

--आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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