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बेंगलुरु रहने के लिए अच्छा शहर, लेकिन महंगाई से जूझ रहे लोग

प्रकाशित 27/08/2023, 08:08 pm
© Reuters बेंगलुरु रहने के लिए अच्छा शहर, लेकिन महंगाई से जूझ रहे लोग

बेंगलुरु, 27 अगस्त (आईएएनएस)। देश में सबसे समृद्ध और अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले राज्यों में से एक होने के बावजूद कर्नाटक के लोग हर क्षेत्र में महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के नतीजों से पता चला कि आम लोगों को खाद्य पदार्थों और सब्जियों की बढ़ती कीमतों और जीवनयापन सूचकांक की समग्र लागत के कारण कितना नुकसान उठाना पड़ा।

कांग्रेस की गारंटी योजनाओं ने सबसे पुरानी पार्टी को चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करने में मदद की। कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चुनाव में महंगाई को बड़ा मुद्दा बनाया, जो लोगों को पसंद आया। मगर भाजपा ने कांग्रेस की इस योजना को मुफ्त की राजनीति कहकर खारिज कर दिया था।

विशेषज्ञों के अनुसार आईटी क्षेत्र कर्नाटक की अर्थव्यवस्था की मदद करके इस परिदृश्य को बढ़ावा दे रहा है।

प्रॉपर्टी फर्स्ट के संस्थापक और सीईओ भावेश कोठारी ने आईएएनएस को बताया, “कर्नाटक में रहने की लागत पूरे भारत की तुलना में 1.29 गुना अधिक ज्यादा है, इस प्रकार राज्य रहने के लिए सबसे महंगी जगहों में चौथे स्थान पर है। लेकिन साथ ही इस उच्च सीएलआई (कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स) का सकारात्मक असर भी है और इस तथ्य से स्पष्ट है कि राज्य को भारत में रहने के लिए सबसे अच्छी जगह के रूप में स्थान दिया गया है।"

उन्‍होंने कहा,''क्षेत्र में व्यवसाय और आर्थिक गतिविधियों की समग्र जीवंतता के कारण, बेंगलुरु में जीवन स्तर भी एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ढेर सारे अवसरों वाला एक वैश्विक तकनीकी केंद्र होने के नाते यह शहर अन्य शहरों से प्रतिभाओं को आकर्षित कर रहा है जिससे आवास की लागत बढ़ रही है।''

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कोठारी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शहर और इसके विभिन्न उपबाजारों में न केवल किराये में वृद्धि देखी गई है, बल्कि प्रति वर्ग फुट दर में भी काफी वृद्धि हुई है, जिसके चलते संपत्ति की कीमतें बढ़ रही हैं।

उन्होंने आगे कहा, चूंकि यह क्षेत्र अच्छी संभावनाएं प्रदान करता है और लोगों के पास नौकरियां, उच्च वेतन और खर्च करने योग्य आय है, इसलिए ध्यान भी जीवन के उन्नयन की ओर स्थानांतरित हो गया है।

उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में लक्जरी संपत्ति बाजार में भारी वृद्धि देखी गई और निरंतर मांग के कारण, रहने की कुल लागत बढ़ रही है। अनुमान है कि मुद्रास्फीति कम हो सकती है, लेकिन शहर का भविष्य का विकास चार्ट बढ़ती लागत और जीवन की समग्र गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाएगा।

हालांकि, अफोर्डेबलिटी ने मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीब तबके को काफी हद तक प्रभावित किया है।

कोविड महामारी के बाद अधिकांश परिवार स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुन रहे हैं। लेकिन वार्षिक प्रीमियम की लागत 4,000 रुपये से 6,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है। अरहर दाल की कीमत जो 70 से 90 रुपये प्रति किलो थी, वह 120 से 140 रुपये प्रति किलो हो गयी है। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मॉल में अरहर दाल की कीमत 180 से 200 रुपये तक है।

कांग्रेस सरकार द्वारा पहले ही लागू की गई मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और मुफ्त चावल जैसी गारंटी योजनाओं ने जनता को राहत दी है। इस सफलता से उत्साहित कांग्रेस बेरोजगार युवाओं के लिए दो साल के लिए भत्ता और परिवार की महिला मुखियाओं के लिए मासिक भत्ता शुरू करने की तैयारी में है।

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बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उच्च मध्यम वर्ग सहित अधिकांश परिवारों ने अपने मासिक बिलों में कटौती करने के लिए मुफ्त बिजली योजना में नामांकन कराया है।

दूसरी ओर कर्नाटक में परिवारों की एक बड़ी चिंता एलपीजी गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतें हैं।

अक्टूबर 2022 में कीमत बढ़कर 940 रुपये हो गई और मार्च 2023 तक यह 1,105 रुपये तक पहुंच गई। इससे होटलों में खाद्य पदार्थों की कीमतों पर व्यापक प्रभाव पड़ा, जिससे लोगों के लिए बाहर भोजन करना मुश्किल हो गया।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से वंचित महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है। 31 मार्च, 2017 को कनेक्शनों की संख्या 15,840 थी। 22 मई, 2019 तक ये बढ़कर 28.36 लाख हो गई, जबकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2023 तक कर्नाटक में 37.59 लाख मुफ्त एलपीजी कनेक्शन वितरित किए गए।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य के बजट 2018 में पीएमयूवाई से बाहर किए गए 30 लाख लाभार्थियों को ट्विन बर्नर स्टोव, दो रिफिल के साथ मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री अनिल भाग्य (एमएमएबीवाई) योजना की घोषणा की थी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई कि मुफ्त एलपीजी की कर्नाटक योजना को उससे कोई मंजूरी नहीं मिली है।

--आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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