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केंद्रीय मंत्री ने सीओपी28 से पहले पूर्वोत्तर में 2000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का लिया जायजा

प्रकाशित 28/11/2023, 06:16 pm
© Reuters.  केंद्रीय मंत्री ने सीओपी28 से पहले पूर्वोत्तर में 2000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का लिया जायजा

नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने अरुणाचल प्रदेश/असम में 2000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना का जायजा लेने के बाद काम की गति पर संतोष जताया और एनएचपीसी अधिकारियों से इसे तय समय पर पूरा करने का आग्रह किया।मंत्री का जल विद्युत परियोजना स्थल का दौरा जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अबू धाबी में सीओपी28 बैठक से पहले हो रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं का महत्व बढ़ गया है। जल विद्युत के बिना चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है।

उन्होंने कहा, “मैंने सभी विवरणों पर गौर किया और मेरा मानना है कि कुल मिलाकर, सुबनसिरी परियोजना उसी तरह आगे बढ़ रही है जैसे बढ़नी चाहिए। चूंकि हमें ऊर्जा परिवर्तन करने, उत्सर्जन कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने की जरूरत है, इसलिए पनबिजली परियोजनाओं का महत्व बढ़ गया है। हमारे पास नवीकरणीय ऊर्जा के बीच सौर और पवन भी हैं, लेकिन पनबिजली के बिना चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है। हमारी पनबिजली क्षमता बढ़ रही है।”

मंत्री ने चल रही निर्माण गतिविधियों का जायजा लिया और सोमवार को उन्हें प्रगति के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने एक समीक्षा बैठक ली जिसमें उन्हें परियोजना में चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी गई।

एनएचपीसी के अधिकारियों और प्रमुख कार्यों के ठेकेदारों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, सिंह ने सभी को परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए उत्साह के साथ काम करने का निर्देश दिया।

सिंह ने कहा, “इस तरह की परियोजनाओं से राज्य में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा, जिसके चलते प्रति व्यक्ति आय चार गुना हो जाएगी। और देश को स्वच्छ बिजली मिलेगी। इसी प्रकार, जम्मू और कश्मीर में पांच जल विद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।''

मंत्री ने देश की उपलब्ध जलविद्युत क्षमता का बेहतर दोहन करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बात की। “आज, हमारी जल विद्युत क्षमता 47,000 मेगावाट है, जो हमारी उपलब्ध जल विद्युत क्षमता का 35 फीसदी है।"

सिंह ने कहा कि भारत की बिजली की मांग बढ़ रही है और इसके लिए तेज गति से बिजली क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। “पिछले वर्ष की तुलना में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2023 में हमारी बिजली की मांग 20 प्रतिशत बढ़ी। हमारी मांग इसी दर से बढ़ती रहेगी, क्योंकि नीति आयोग के अनुसार, हमारी अर्थव्यवस्था अगले दो दशकों तक 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी।''

उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की निर्माणाधीन क्षमता लगभग 70,000 मेगावाट है, जबकि थर्मल में यह 27,000 मेगावाट है। हालांकि, देश को 2030 की बिजली मांग को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए निर्माणाधीन तापीय क्षमता में 53,000 मेगावाट और जोड़ा जाएगा।

मंत्री ने कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन में विश्व में अग्रणी बन गया है और भारत जिम्मेदार विकास का मार्ग अपना रहा है। “पेरिस में सीओपी21 में, हमने 2030 तक अपनी क्षमता का 40 फीसदी गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से बनाने की प्रतिबद्धता जताई थी; हमने यह लक्ष्य नौ साल पहले 2021 में हासिल कर लिया। इसलिए, हम विकसित देशों की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं।”

--आईएएनएस

एसकेपी

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