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कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का आधार है : अर्थव्यवस्था समीक्षा

प्रकाशित 30/01/2024, 02:54 am
© Reuters.  कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का आधार है : अर्थव्यवस्था समीक्षा

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार की गई भारत अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र, जिसका वित्तवर्ष 2024 में भारत के जीवीए का 18 प्रतिशत हिस्सा होने का अनुमान है, देश की अर्थव्यवस्था का आधार है।रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तवर्ष 23 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन 32.97 लाख टन था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.41 करोड़ टन की वृद्धि दर्शाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रतिवर्ष औसत खाद्यान्न उत्पादन वित्तवर्ष 2015 से वित्तवर्ष 2023 तक 28.9 लाख टन था, जबकि वित्तवर्ष 2005 से वित्तवर्ष 2014 में यह 23.3 लाख टन था। यही वजह है कि चावल, गेहूं, दालें, पोषक/मोटे अनाज और तिलहन के उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई।”

इसमें कहा गया है कि भारत का वैश्विक प्रभुत्व कृषि वस्तुओं तक फैला हुआ है, जिससे यह दुनिया भर में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।

इसमें कहा गया है, "भारत फलों, सब्जियों, चाय, मछली, गन्ना, गेहूं, चावल, कपास और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहतर प्रदर्शन कृषि निर्यात में भारी उछाल के रूप में भी परिलक्षित होता है, जो वित्तवर्ष 2023 में 24.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के रिकॉर्ड को पार कर गया है।

अर्थव्यवस्था समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट और जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तनशीलता से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय दृढ़ता और लचीलेपन का प्रदर्शन किया है, जिससे भारत की आर्थिक सुधार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “यह क्षेत्र वित्तवर्ष 2015 से वित्तवर्ष 2023 तक 3.7 प्रतिशत की उच्च औसत वार्षिक दर से बढ़ा, जबकि वित्तवर्ष 2005 से वित्तवर्ष 2014 तक यह 3.4 प्रतिशत था। वित्तवर्ष 2013 के लिए यह सेक्टर पिछले वर्ष की तुलना में 4.0 प्रतिशत की दर से बढ़ा।”

इसमें कहा गया है कि अवसर और उचित नीति निर्धारण दिए जाने पर किसानों ने शेष विश्‍व की खाद्य मांग को पूरा करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।

इसमें कहा गया है कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की वृद्धि और लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए कई रणनीतिक उपाय लागू किए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, "एक उल्लेखनीय हस्तक्षेप 22 खरीफ और रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में लगातार वृद्धि है।"

इसमें कहा गया है कि कृषि वर्ष 2018-19 के बाद से सरकार ने एमएसपी के तहत कवर की गई प्रत्येक फसल के लिए अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत मार्जिन सुनिश्चित किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "इस मूल्य समर्थन का उद्देश्य भारत की आयात निर्भरता को कम करना और दालों, तेल और वाणिज्यिक फसलों के प्रति विविधीकरण को बढ़ावा देना भी है।"

इसमें कहा गया है कि 2023-24 में मसूर (मसूर) के लिए एमएसपी में सबसे अधिक 2425 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 2200 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएम-केएमवाई), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जैसी नीतिगत पहलों ने किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

समीक्षा में कहा गया है कि 2019 में लॉन्च किया गया पीएम-किसान, तीन समान चार-मासिक किस्तों में प्रति वर्ष 26,000 हस्तांतरित करके भूमिधारक किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ''12 दिसंबर, 2023 तक 11 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 2.8 लाख करोड़ से अधिक हस्तांतरित किए जा चुके हैं।''

इसमें कहा गया है कि सरकार पीएम-केएमवाई के तहत नामांकित 23.4 लाख छोटे और सीमांत किसानों को पेंशन लाभ प्रदान करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक कारणों के खिलाफ सरल और किफायती फसल बीमा की पेशकश करने वाली पीएमएफबीवाई की सफलता, 2016-17 से बीमाकृत 55.5 करोड़ किसान आवेदनों और दावों के रूप में 21.5 लाख करोड़ भुगतान से स्पष्ट है।"

--आईएएनएस

एसजीके/

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