नोएडा, 23 अप्रैल (आईएएनएस)। आपने यूट्यूब पर अवैध गगनचुंबी इमारतों को गिराने के वीडियो देखे होंगे, जो देखने में आश्चर्यजनक और आकर्षक भी लगते हैं। मगर हमें इस बात का बहुत कम एहसास होता है कि जब ऊंची-ऊंची इमारतें कुछ ही सेकंड में धराशायी हो जाती हैं तो आसपास का माहौल काफी प्रदूषित हो जाता है। गगनचुंबी इमारतों के विध्वंस से आसमान में धूल का गुबार छा जाता है और साथ ही मलबे की भारी मात्रा भी परेशानी का सबब बन जाती है, जिससे इमारत गिराने के बाद अगले कुछ महीनों तक आस-पास के निवासियों का जीवन नरक बन जाता है।
नोएडा 22 मई को घनी आबादी वाले सेक्टर 93ए में सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस को देखने के लिए तैयार है, मगर साथ ही स्थानीय निवासी बहुत चिंतित हैं और गुस्से में भी हैं, क्योंकि उन्हें लगभग 40,000 टन मलबे से निपटना होगा।
पिछले साल 31 अगस्त के अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 915 फ्लैटों वाले ट्विन टावर्स (एपेक्स और केयेन) को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
मुंबई स्थित एक विध्वंस एजेंसी, एडिफिस इंजीनियरिंग को दोनों टावरों को लगभग नौ सेकंड में गिराने का काम सौंपा गया है।
वे नौ सेकंड आस-पास की सोसायटी और बाजारों में लोगों का गला घोंटने (प्रदूषित हवा से होने वाली परेशानी) वाले हैं, खासकर वे जो पहले से ही सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं।
दो निकटवर्ती सोसायटी, एटीएस ग्रीन विलेज और सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के निवासियों ने पहले ही विध्वंस के दिनों में बाहर जाने की योजना बना ली है और कुछ स्थायी रूप से भी इस इलाके से जा रहे हैं, क्योंकि विस्फोट उनके घरों की नींव को कमजोर कर सकता है।
लेखक-पत्रकार रमेश मेनन ने आईएएनएस से कहा, यह धूल और मलबे के कारण बहुत सारी स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म देगा। कल्पना कीजिए कि लगभग 4,000 किलोग्राम विस्फोटक होंगे तो चारों ओर की हवा कितनी जहरीली होगी?
इन दोनों टावरों के मलबे को साफ करने में भी काफी समय लगेगा और जब तक यह जारी रहेगा, चारों ओर घनी धूल होगी।
उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा, यह निश्चित रूप से सांस लेने में समस्या पैदा करेगा और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल होगा। विध्वंस से आस-पास की इमारतों को भी नुकसान हो सकता है। कोई नहीं जानता कि यह कितना गंभीर होगा, क्योंकि जिस इलाके में सैकड़ों फ्लैट हैं, वहां ऐसा कभी नहीं किया गया।
लगभग 1,500 परिवार टावरों के आस-पास रहते हैं और अनुमान है कि लगभग 6,000 लोग इलाके में रहते हैं, जिन्हें अपनी सुरक्षा के लिए पहले से ही क्षेत्र छोड़ना होगा।
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के निवासी प्रताप चक्रवर्ती के अनुसार, 200 श्रमिकों और भारी मशीनरी के साथ पूर्व-विध्वंस अभ्यास एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के लिए पर्यावरणीय चिंताओं का कारण बन रहा है और ग्राउंड जीरो के पास बसे हुए ब्लॉकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
चक्रवर्ती ने आईएएनएस को बताया, दो प्रभावित सोसायटीज के आरडब्ल्यूए समस्या को कम करने को लेकर अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं। तीन एमराल्ड कोर्ट टावर विध्वंस स्थल के सबसे करीब हैं और कई फ्लैट मालिक अब अपनी संपत्ति का बीमा करा रहे हैं।
निवासियों को बताया गया है कि पांच-छह घंटे की निकासी (एक क्षेत्र को खाली कराना) अवधि होने वाली है। हालांकि, असली समस्या विध्वंस के बाद शुरू होगी।
एडिफिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्कर्ष मेहता ने कहा कि ट्विन टावरों के बड़े पैमाने पर मलबे को साफ करने में तीन महीने लग सकते हैं।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, ऐसा नहीं है कि यह ठीक 9 सेकंड में चकनाचूर हो जाएगा। अपने 40 वर्षों के व्यावहारिक अनुभव में, हमने अतीत में कई विध्वंस किए हैं और उस ऊंचाई की इमारत के साथ मेरा मानना है कि इसमें 9 सेकंड से अधिक नहीं लगना चाहिए।
उन्होंने कहा, संभावित रूप से, लगभग 3,000-4,000 किलोग्राम विस्फोटकों का इस्तेमाल विध्वंस प्रक्रिया के लिए किया जाएगा।
दो टावरों में से, एपेक्स 103 मीटर ऊंचा है और केयेन लगभग 97 मीटर ऊंचा है।
मेनन के अनुसार, उन अवैध फ्लैटों में निवेश करने वालों को तो नुकसान उठाना ही पड़ा है, साथ ही आसपास रहने वालों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
उन्होंने कहा, अगर पूरे मामले को देखा जाए तो ऐसा तो कुछ होना ही था, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से अवैध है। इसने कई कानूनों का उल्लंघन किया है। इसके विध्वंस का आदेश देकर, सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि बिल्डर्स और रियल एस्टेट कंपनियां कानून का उल्लंघन करके या खरीदारों की वास्तविक शिकायतों को दूर करने से बच नहीं सकती हैं।
निवासियों ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के लिए यह एक अच्छा सबक है कि अब यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए ऐसी अवैध इमारतों को बनने से पहले रोक दें।
ट्विन टावर विध्वंस के नतीजों को आने वाले महीनों तक महसूस किया जाएगा।
चक्रवर्ती ने कहा, कुछ निवासी स्थानांतरित (रिलोकेट) हो चुके हैं और अन्य ऐसा करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि अगर विध्वंस योजना के अनुसार होता है, तो भी 40,000 टन मलबे की निकासी अपने साथ कई चुनौतियां लेकर आएगी।
एक ओर जहां लाखों लोगों के लिए वीडियो के जरिए अपने घरों में आराम से ट्विन टावरों को गिरते देखना एक विस्मयकारी क्षण होगा, वहीं दूसरी ओर आस-पास रहने वालों के लिए यह विध्वंस किसी नरक से कम नहीं रहने वाला है।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम