नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)। केंद्र ने प्रतिबंधित श्रेणी के तहत चीनी के निर्यात की सीमा तय कर दी है, जिसे एक जून से लागू किया जाएगा।यह फैसला बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने और घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद लिया गया है।
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में लगातार चौथे महीने आरबीआई के टॉलरेंस बैंड से ज्यादा रही है, और आने वाले महीनों में भी इसके बढ़ने की संभावना है।
सरकार ने मंगलवार देर रात कहा कि 31 अक्टूबर को समाप्त होने वाले विपणन सत्र के लिए चीनी निर्यात की ऊपरी सीमा एक करोड़ टन रखी गई है।
विशेष रूप से, भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
इसके अलावा, मंगलवार को केंद्र ने शून्य सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना और विकास उपकर पर दो साल की अवधि के लिए प्रति वर्ष कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल के 20 लाख टन की मात्रा के आयात की अनुमति दी।
भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है।
यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति कम हो गई है क्योंकि युद्ध में शामिल दोनों देश सूरजमुखी के तेल के प्रमुख उत्पादक हैं।
इसके अलावा, सप्ताहांत के दौरान सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया है, इस्पात उत्पादन के लिए आवश्यक कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क कम कर दिया और उज्जवला गैस लाभार्थियों के लिए सब्सिडी की घोषणा की है।
--आईएएनएस
एमएसबी/एमएसए