सोनीपत, 7 नवंबर (आईएएनएस)। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने शिक्षा मंत्रालय के साथ एक प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) के रूप में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 4 नवंबर 2020 को जेजीयू को एक प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) के रूप में मान्यता प्रदान की। यह एक महत्वपूर्ण मान्यता है। एक आईओई के रूप में, जेजीयू एक मानित विश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) है और यह यूजीसी (इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज) विनियम, 2017 और 2021 द्वारा शासित है। जेजीयू हरियाणा की पहली और एकमात्र यूनिवर्सिटी है, जिसे आईओई के रूप में मान्यता दी गई है। यह जेजीयू के लिए एक अविश्वसनीय ऐतिहासिक मान्यता है। भारत सरकार द्वारा परिकल्पित आईओई नीति का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षिक संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए शुरू की गई थी, ताकि विश्व स्तरीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान बनने में मदद मिल सके।
सामाजिक मूल्यों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को कायम रखने वाले संस्थान की मान्यता पर छात्र कौस्तुभ शक्करवार (याचिकाकर्ता) ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सवाल उठाया है।
याचिकाकर्ता जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में बौद्धिक संपदा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और प्रौद्योगिकी कानून (टेक्नोलॉजी लॉ) में विशेषज्ञता वाले एलएल. एम. प्रोग्राम में छात्र के रूप में नामांकित है। छात्र ने वैश्वीकरण की दुनिया में कानून और न्याय पाठ्यक्रम (कोर्स) की अंतिम परीक्षा में हिस्सा लिया। जब उनकी अंतिम परीक्षा की प्रस्तुति (सबमिशन) टर्निटिन के माध्यम चेक की गई, तो टर्निटिन रिपोर्ट में 88 प्रतिशत सामग्री एआई जनरेटेड पाई गई। छात्र के आचरण की शिकायत यूनिवर्सिटी की अनफेयर मींस कमेटी को दी गई। एआई जनरेटेड सामग्री के कारण छात्र यूजीसी एंटी-प्लेगियरिज्म रेगुलेशन, 2018 के अनुसार परीक्षा में फेल हो गया। उसे फिर से परीक्षा देने का मौका दिया गया, जिसे उसने स्वीकार किया और बाद में इसे पास कर लिया।
याचिकाकर्ता ने इस मामले पर (जो अब न्यायालय में विचाराधीन है) सोशल और ऑनलाइन मीडिया में तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक और पक्षपाती बयान दिए हैं, जिनका उद्देश्य जनता की राय और उसके द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करना है। याचिकाकर्ता का यह कृत्य न्यायिक शिष्टाचार की घोर अवहेलना है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। विचाराधीन मामलों पर सोशल मीडिया पर चर्चा के ऐसे कृत्यों की सुप्रीम कोर्ट ने निंदा की है।
यूनिवर्सिटी इस मामले को वास्तविक तथ्यों पर आधारित होकर, जिस भी कानूनी मंच पर इसे पेश किया जाएगा, वहां गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ाती रहेगी। इसके अलावा यूनिवर्सिटी का यह भी मानना है कि यह मामला अकादमिक ईमानदारी और परीक्षा प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करने वाली अनैतिक प्रथाओं को अपनाने से जुड़ा है, इसलिए कोई भी व्यक्ति विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए रुख का विरोध नहीं करेगा। अंत में, यूनिवर्सिटी कानूनी मामले को आगे बढ़ाने के अलावा याचिकाकर्ता के व्यावसायिक कदाचार की रिपोर्ट करने के लिए अन्य प्रासंगिक नियामक निकायों/प्राधिकरणों से भी संपर्क करेगा। याचिकाकर्ता एक अधिवक्ता और न्यायालय का अधिकारी भी है।
बता दें कि ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी एक प्रतिष्ठित संस्थान (आईओई) और हरियाणा सरकार से स्थापित एक गैर-लाभकारी ग्लोबल यूनिवर्सिटी है। यह यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त है। जेजीयू एक रिसर्च-इंटेंसिव यूनिवर्सिटी है, जो अंतर्विषयक शिक्षण, इनोवेटिव पेडागोजी, प्लुरलिज्म और रिगोरस स्कॉलरशिप; ग्लोबलिज्म तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है।
--आईएएनएस
एफजेड/सीबीटी