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इस साल 5.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था : संयुक्त राष्ट्र अर्थशास्त्री

प्रकाशित 26/01/2023, 05:22 pm
© Reuters.  इस साल 5.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था : संयुक्त राष्ट्र अर्थशास्त्री

संयुक्त राष्ट्र, 26 जनवरी (आईएएनएस)। इस साल जब विश्व अर्थव्यवस्था के मात्र 1.9 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है, तब 5.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेज अथव्यवस्था होगी। यह बात वैश्विक अर्थव्यवस्था की निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट के मुख्य अधिकारी ने कही। भारत की अध्यक्षता वाली बड़ी विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह प्रमुख हामिद राशिद ने कहा, वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा अगले वर्ष के लिए भारत के लिए 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगा रहा है, जो जी20 के अन्य सदस्य देशों के सापेक्ष बहुत अधिक है।

इस बीच नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के आर्थिक प्रदर्शन का श्रेय उसके नेतृत्व को दिया।

मुर्मू ने अपने गणतंत्र दिवस के भाषण में कहा, सरकार के समय पर और सक्रिय हस्तक्षेप के कारण भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। विशेष रूप से सरकार की आत्मानिर्भर भारत की पहल ने लोगों के बीच शानदार प्रतिक्रिया हासिल की।

संयुक्त राष्ट्र की विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं (डब्ल्यूईएसपी) की रिपोर्ट जारी होने के मौके पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए राशिद ने कहा कि भारत का विकास संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक अच्छा कदम है।

संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख आर्थिक रिपोर्ट डब्ल्यूईएसपी के अनुसार विकास दर के मामले में चीन दूसरे स्थान पर चीन में इस वर्ष 4.8 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस वर्ष 0.4 प्रतिशत और अगले वर्ष 1.7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। जबकि समग्र रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए रिपोर्ट में मई में अनुमानित विकास दर में 0.2 प्रतिशत से 0.4 प्रतिशत और इस वर्ष 1.6 प्रतिशत की कटौती की गई है। अगले वर्ष 1.7 प्रतिशत की कमी की उम्मीद है।

राशिद ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए गिरती बेरोजगारी, मुद्रास्फीति में कमी और कम आयात बिल को जिम्मेदार बताया है।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दर पिछले चार वर्षों में 6.4 प्रतिशत हो गई है। इसका मतलब है कि घरेलू मांग काफी मजबूत रही है।

डब्ल्यूएसपी ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि 2022 में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में नौकरियों की वृद्धि हुई।

राशिद ने कहा, मुद्रास्फीति का दबाव भी काफी हद तक कम हो गया है।

इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक को मौद्रिक सख्ती पर आक्रामक नहीं होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि भारत को कम आयात से भी लाभ हुआ है, विशेष रूप से ऊर्जा आयात लागत, जो पिछले वर्षों की तुलना में कम रही है।

राशिद ने कहा, मुझे लगता है कि यह भारत के लिए एक सतत विकास दर है, क्योंकि भारत में भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी में जी रहे हैं। इसलिए अगर भारत निकट अवधि में इस विकास दर को बनाए रख सकता है, तो यह एक आम लोगों के लिए अच्छा होगा।

उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मुख्य रूप से वैश्विक स्थिति से उत्पन्न होने वाले दो जोखिमों की ओर इशारा किया।

एक उच्च ब्याज दरों से है, जो ऋण सेवा लागत को बढ़ा देगा, जो बजट के 20 प्रतिशत से अधिक हो गया है।

उन्होंने कहा, यह काफी उच्च ऋण सेवा लागत है और इससे विकास की संभावना पर कुछ असर पड़ेगा।

दूसरा जोखिम वैश्विक बाहरी मांगों की कमी से है।

रशीद ने कहा कि अगर यूरोप और अमेरिका में विकास दर कम होगा, तो इसका प्रभाव वैश्विक निर्यात पर पड़ेगा। इससे विश्व अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।

उन्होंने कहा, लेकिन कुल मिलाकर हमारा मानना है कि निकट भविष्य में मजबूत घरेलू मांग को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में होगी।

रिपोर्ट में समग्र रूप से दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था इस वर्ष 4.8 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

--आईएएनएस

सीबीटी

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