नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। जी-20 पर एक बड़ा साया मंडरा रहा है और यूक्रेन में युद्ध भारत के प्रयासों को जटिल बना रहा है।काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की सीनियर फेलो मंजरी चटर्जी मिलर ने लिखा, रूस ने हाल ही में ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव में भागीदारी को निलंबित कर दिया है, जिससे खाद्य असुरक्षा में योगदान हो रहा है और जी-20 विकासशील देशों के बीच चिंताएं बढ़ रही हैं।
मिलर ने लिखा कि जब इस साल की शुरुआत में जी20 वित्त मंत्रियों के शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित पैराग्राफों में कहा गया था कि यूक्रेन संघर्ष भारी मानवीय पीड़ा का कारण बन रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है, तो चीन और रूस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद, कोई आम सहमति वाला बयान नहीं आया और केवल अध्यक्ष द्वारा बैठक का सारांश जारी किया गया।
आर्टिकल में यह भी लिखा गया कि ऐसा लगता नहीं है कि भारत एक नाजुक राह पर चल पाएगा और जी-20 सदस्यों को शिखर सम्मेलन में आम सहमति या संयुक्त विज्ञप्ति तैयार करने के लिए राजी कर पाएगा। इस प्रकार भारत किसी भी आधिकारिक जी-20 घोषणा में संघर्ष का वर्णन करने के लिए युद्ध शब्द का उपयोग करने से बचने की उम्मीद कर रहा है।
इस बीच, फ्रांस ने पहले ही सार्वजनिक रूप से किसी भी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। अमेरिका भारत से संकेत चाहता है कि रूस के मुद्दे से अलग तरीके से निपटा जाएगा।
मिलर ने कहा कि जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन भारत को एक जोखिम और एक अवसर प्रदान करता है। भारत को वैश्विक उत्तर और वैश्विक दक्षिण के बीच मध्यस्थ के रूप में भारत की घोषित स्थिति के अनुरूप राजनयिक तथा विकास एजेंडे पर सहयोग एवं थोड़ी सी भी आम सहमति बनाने के लिए अपनी मौजूदा साझेदारियों को सावधानी पूर्वक नेविगेट करने की जरूरत होगी।
इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) में एशिया की वरिष्ठ विश्लेषक सुमेधा दासगुप्ता ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति पद का परीक्षण वर्तमान में जी-20 संयुक्त घोषणा में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के आसपास आम सहमति बनाने की क्षमता से किया जा रहा है, जिसने जी-7 देशों को रूस और चीन के खिलाफ खड़ा कर दिया है।
ईएफई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब समूह में एक बड़ी दरार आ गई है, क्योंकि पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध को चर्चा का केंद्र बिंदु बनाने की कोशिश कर रहे हैं और अंतिम प्रस्ताव में मॉस्को की भूमिका की सर्वसम्मति से निंदा करने का आह्वान कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, रूस और चीन दोनों युद्ध की निंदा करने वाले दस्तावेज़ को रोकने के लिए तैयार हैं। इसलिए यदि यूक्रेन मुद्दे को मेज पर रखा जाता है, तो बैठक के बाद किसी समझौते पर पहुंचने की संभावनाएं व्यावहारिक रूप से खत्म हो जाएंगी। युद्ध से ध्यान भटकाना जी-20 अध्यक्ष के रूप में भारत के लिए बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है क्योंकि वह अपने समानांतर हितों से समझौता करने से बचना चाहता है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को आमंत्रित नहीं करने के अलावा, राष्ट्रीय नेताओं की ओर से बातचीत करने का काम करने वाले जी-20 शेरपा के उच्च-रैंकिंग राजनयिकों ने ऋण, जलवायु कार्रवाई और तकनीकी परिवर्तन जैसे अन्य प्रमुख मुद्दों से आसानी से निपटने के लिए लगातार मंचों पर यूक्रेन मुद्दे को अलग रखने पर जोर दिया है।
--आईएएनएस
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