बीजिंग, 15 सितंबर (आईएएनएस)। जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में स्थित चीन के स्थायी प्रतिनिधि छन शू ने 14 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा कि जापान सरकार ने एकतरफा तौर पर फुकुशिमा परमाणु दूषित पानी को जबरन समुद्र में छोड़ा। यह प्रशांत तटीय देशों, यहां तक कि पूरी दुनिया में लोगों के स्वास्थ्य अधिकार, विकास अधिकार और पर्यावरण अधिकार का गंभीर उल्लंघन है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस गतिविधि की वैधता, वैधानिकता और सुरक्षा पर प्रश्न उठाया। जापान और दक्षिण कोरिया आदि देशों के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है।
छन शू ने बताया कि यदि फुकुशिमा परमाणु दूषित पानी सुरक्षित होता, तो इसे समुद्र में बहाने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
यदि यह असुरक्षित है तो इसे समुद्र में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। चीन ने मानवाधिकार परिषद से इस मुद्दे पर अधिक ध्यान देने की अपील की और जापान से समुद्र में दूषित पानी के निर्वहन को तुरंत रोकने का आग्रह किया।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस