iGrain India - नई दिल्ली । अमरीका मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने चालू सप्ताह के दौरान पश्चिमोत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में बारिश होने तथा बर्फबारी होने की संभावना व्यक्त की है जिससे न केवल रबी फसलों की बिजाई के लिए खेतों की मिटटी में नमी का अंश बढ़ेगा बल्कि वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।
मौसम विभाग के अनुसार मध्यवर्ती पाकिस्तान के ऊपर एक ट्रफ के रूप में एक एक्टिव पश्चिमी विक्षोभ मौजूद है जिससे साइक्लोनिक सर्कुलेशन के निर्माण का संकेत मिलने लगा है।
इससे यह सुनिश्चित हो गया है कि अरब सागर से नमी युक्त हवा पश्चिमोत्तर भारत की ओर बढ़ने लगा है। इसके परिणामस्वरूप 16 नवम्बर तक पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में कहीं-कहीं बारिश हो सकती है जबकि जम्मू कश्मीर, लद्दाख उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि देश में अभी रबी फसलों की जोरदार बिजाई का सीजन चल रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं, जौ, चना एवं सरसों सहित अन्य रबी फसलों की खेती विशाल क्षेत्रफल में होती है।
ऐसे समय में हल्की बौछार पड़ने से किसानों को फसलों की बिजाई करने में अच्छी सहायता मिलेगी। अक्टूबर में वहां वर्षा का अभाव रहा जबकि तपमान भी ऊंचा देखा गया।
अब तापमान में गिरावट आई है जिससे मिटटी में नमी सूखने की गति धीमी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में यदि हल्की वर्षा होती है तो फसल की प्रगति में भी मदद मिलेगी।
पंजाब-हरियाणा में गेहूं की जरोदार बोआई जारी है। इसी तरह उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में गेहूं तथा सरसों की बिजाई बढ़ने लगी है। चना की भी शानदार बिजाई होने के संकेत मिल रहे हैं। इन कृषि जिंसों का बाजार भाव ऊंचा चल रहा है।
दक्षिण भारत में यदयपि बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर घटकर काफी नीचे आ गया है मगर अब वहां अच्छी बारिश होने लगी है। नवम्बर के प्रथम सप्ताह के दौरान केरल तथा तमिलनाडु में भारी वर्षा हुई।
इसी तरह कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में भी वर्षा होने से किसानों को राहत मिली। अब वहां वर्षा का नया दौर शुरू हो गया है।