iGrain India - नई दिल्ली । पिछले महीने महंगाई दर घटकर 4.87 प्रतिशत पर आ गई जो पिछले चार महीनों में सबसे कम है। समझा जाता है कि खरीफ फसलों की नई आवक शुरू होने से बाजार में कुछ महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों का दाम नरम पड़ गया जिससे कीमतों पर असर पड़ा।
फसलों तथा सब्जियों के भाव भी कुछ नीचे आए। चावल का भाव एक निश्चित सीमा में स्थिर हो गया है और खाद्य तेलों की कीमतों में भी ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया। लेकिन गेहूं एवं इसके उत्पादों, दाल-दलहन एवं चीनी आदि के दाम काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है। मोटे अनाजों के मूल्य में सीमित घट-बढ़ हो रही है। कुछ मसालों और खासकर जीरा का भाव नरम पड़ गया है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में सोयाबीन, मूंगफली, उड़द, मूंग, धान एवं गन्ना फसल की कटाई-तैयारी जोर पकड़ने लगी है। आगामी समय में इसकी रफ्तार अरु भी बढ़ने की उम्मीद है।
चुनावी मौसम में कुछ खाद्य जिंसों की कीमतों में नरमी या स्थिरता आने से आम उपभोक्ताओं के सतह सरकार को भी राहत मिली है। लेकिन स्वयं सरकार ने खरीफ फसलों के उत्पादन में गिरावट आने का अनुमान लगाया है इसलिए महंगाई में आने वाली कमी को व्यापार विश्लेषक अभी अस्थायी मान रहे हैं।
कृषि मंत्रालय ने तुवर का उत्पादन गत सीजन के 33.10 लाख टन से बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 34.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र के समीक्षकों का कहना है कि वास्तविक उत्पादन 30 लाख टन से ज्यादा नहीं होगा।
दूसरी ओर इसकी घरेलू मांग बढ़कर 45-46 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह करीब 15-16 लाख टन तुवर के आयात की आवश्यकता पड़ सकती है।
एक महत्वपूर्ण अफ्रीकी आपूर्तिकर्ता देश मोजाम्बिक से इसके निर्यात शिपमेंट में बाधा पड़ रही है। घरेलू तुवर की फसल अगले महीने से आनी शुरू हो सकती है।
खाद्य महंगाई पर कुछ समय के लिए थोड़ा दबाव पड़ सकता है लेकिन आगे इसका प्रभाव धीरे-धीरे असरहीन हो सकता है। इस बीच रबी फसलों की बिजाई की रफ्तार बढ़ने लगी है। इसका भी बाजार पर कुछ असर पड़ सकता है। त्यौहारी सीजन की समाप्ति के बाद कुछ जिंसों की मांग एवं खपत की गति सुस्त पड़ सकती है।