iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में आपूर्ति उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मई 2022 में गेहूं तथा उसके कुछ दिनों के बाद गेहूं उत्पादों के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन कुछ शर्तों के साथ सीमित अवधि के लिए गेहूं के शिपमेंट की अनुमति दी थी।
इसके फलस्वरूप अप्रैल-सितम्बर 2022 की छमाही के दौरान देश से 45.90 लाख टन गेहूं का निर्यात हो गया जिससे 148.70 करोड़ डॉलर की शानदार आमदनी हुई थी।
वर्ष 2023 में इसके व्यापारिक निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है और केवल सरकारी स्तर पर ही इसका थोड़ा-बहुत शिपमेंट हो रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाई में यानी अप्रैल-सितम्बर 2023 के दौरान गेहूं का निर्यात लुढ़ककर मात्र 72 हजार टन पर सिमट गया और इससे होने वाली आमदनी भी 98.57 प्रतिशत घटकर 2.10 करोड़ डॉलर रह गई।
लेकिन सरकार का यह प्रयास घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों को घटाने में सफल नहीं हो सका। इसका प्रमुख कारण उत्पादन में भारी गिरावट आना है।
हालांकि सरकार का कहना है कि 2022-23 के रबी सीजन के दौरान देश में 11 करोड़ टन से अधिक गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ लेकिन यह आंकड़ा उद्योग-व्यापार क्षेत्र को बहुत बड़ा लगता है।
उसके अनुसार गेहूं का वास्तविक घरेलू उत्पादन 10.00-10.10 करोड़ टन से अधिक नहीं हुआ। 2021-22 सीजन के लिए भी सरकार ने 1077 लाख टन टन गेहूं का उत्पादन आंका था मगर उद्योग-व्यापार क्षेत्र ने वास्तविक उत्पादन 10000 लाख टन से कम माना था।
गेहूं की सरकारी खरीद 2021-22 एवं 2022-23 के दोनों ही सीजन में निर्यात लक्ष्य से काफी कम हुई। 2021-22 के सीजन में तो यह लुढ़ककर 188 लाख टन के करीब रह गई थी मगर 2022-23 के सीजन में कुछ बढ़कर 262 लाख टन पर पहुंची जबकि खरीद का लक्ष्य 345 लाख टन के करीब नियत किया गया था।
सरकारी स्टॉक में अभी गेहूं का अच्छा स्टॉक मौजूद है और खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत इसकी नियमित बिक्री भी की जा रही है लेकिन हाजिर में स्टॉक बहुत कम होने तथा थोक मंडियों में आपूर्ति सीमित होने से कीमतों में मजबूती बरकरार है।