iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा 13 नवम्बर को अक्टूबर माह के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का जो आंकड़ा जारी किया गया है उससे पता चलता है कि खुदरा महंगाई की दर सितम्बर के 5.02 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर में 4.87 प्रतिशत पर आ गई।
चार माह के अंतराल के बाद यह महंगाई दर गिरकर 4-5 प्रतिशत की रेंज में आई है। इससे पूर्व जुलाई-सितम्बर की तिमाही के दौरान मंगाई की दर ऊंची रही थी जिसका प्रमुख कारण खाद्य उत्पादों का भाव ऊंचा रहना था।
जुलाई में खुदरा महंगाई दर 7.44 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। वैसे अब इसमें गिरावट आई है मगर दाल-दलहन एवं गेहूं चीनी का ऊंचा भाव अब भी सरकार तथा आम लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
वास्तविकता यह है कि उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में कोई खास गिरावट नहीं आई। सितम्बर में यह 6.62 प्रतिशत था जो अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत दर्ज किया गया।
खाद्य बास्केट की विभिन्न श्रेणियों में महंगाई की दर ऊंची ही रही जिसमें दाल-दलहन विशेष रूप से शामिल है। समीक्षकों का कहना है कि खाद्य जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण खुदरा महंगाई दर में आगे बढ़ोत्तरी होने की संभावना बरकरार है।
मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर में दलहन एवं उत्पादों में महंगाई दर बढ़कर 18.79 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि सितम्बर में 16.38 प्रतिशत रही थी। दलहनों के बिजाई क्षेत्र में कमी एवं मौसम की प्रतिकूल स्थिति का इसके दाम पर असर पड़ रहा है।
खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में 4.2 प्रतिशत और तिलहनों के क्षेत्रफल में 1.61 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी। अक्टूबर में अनाज एवं इसके उत्पादों की महंगाई दर भी दोहरे अंकों में रही।
यह सितम्बर में 10.95 प्रतिशत थी जो अक्टूबर में कुछ नरम पड़कर दर भी दोहरे अंकों में रही। यह सितम्बर में 10.95 प्रतिशत थी जो अक्टूबर में कुछ नरम पड़कर 10.65 प्रतिशत रह गई।
अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी थोड़ी-बहुत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इसमें फल तथा सब्जियां भी शामिल हैं। नवम्बर में प्याज का भाव ऊंचा हो गया। ऐसा प्रतीत होता है कि खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार को आगे भी संघर्ष (प्रयास) जारी रखना पड़ेगा।