iGrain India - नई दिल्ली । रबी कालीन तिलहन फसलों की खेती में किसानों की सामान्य दिलचस्पी बरकरार है जिससे उसके उत्पादन क्षेत्र में अभी ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखा जा रहा है।
सबसे प्रमुख रबी तिलहन-सरसों का रकबा गत वर्ष के लगभग बराबर चल रहा है। यद्यपि मूंगफली का बिजाई क्षेत्र कुछ पीछे है लेकिन अलसी का क्षेत्रफल आगे निकल गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन के दौरान 24 नवम्बर तक रबी तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 82.01 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 82.01 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 82.53 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 77.78 लाख हेक्टेयर तथा अलसी का रकबा 1.65 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा।
लेकिन दूसरी ओर मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 2.07 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.80 लाख हेक्टेयर एवं सूरजमुखी का क्षेत्रफल 39 हजार हेक्टेयर से लुढ़ककर 11 हजार हेक्टेयर पर अटक गया।
इसी तरह सैफ्लावर का रकबा भी 41 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 37 हजार हेक्टेयर रह गया। तिल की बिजाई अभी शुरू ही हुई है जबकि अन्य तिलहनों का रकबा भी कुछ पीछे है।
सरसों का उत्पादन क्षेत्र पिछले रबी सीजन में उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था। हालांकि सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है लेकिन किसानों को पिछले उत्पादन की बिक्री में हुई भारी कठिनाई तथा हानि का कड़वा अनुभव भी है।
मार्च-मई 2023 के दौरान सरसों का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से करीब 1000 रुपए प्रति क्विंटल तक नीचे आ गया था। बाद में सरकारी एजेंसी- नैफेड तथा हैफेड को समर्थन मूल्य पर किसानों से लगभग 14 लाख टन सरसों खरीदना पड़ा।
वर्तमान समय में भी कई मंडियों में यह भाव समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है। इसके बावजूद किसानों का उत्साह एवं आकर्षण इस तिलहन की खेती के प्रति बरकरार है।