iGrain India - नई दिल्ली । दिसम्बर से मार्च-अप्रैल के बीच मौसम की प्रतिकूल स्थिति एवं प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से गेहूं की फसल को अक्सर भारी नुकसान हो जाता है जिससे इसकी उपज दर, कुल पैदावार तथा क्वालिटी प्रभावित होती है।
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के कुल अनुमानित क्षेत्रफल के 60 प्रतिशत भाग में ऐसी उन्नत एवं विकसित किस्म की खेती का लक्ष्य रखा है जो जलवायु के अनुकूल है और ऊंचे तापमान को ज्यादा समय तक बर्दाश्त करने में सक्षम है। इससे गेहूं के उत्पादन में गिरावट की संभावना कम रहेगी।
उल्लेखनीय है कि 2022-23 सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन काफी करने से इसकी सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह गई। हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने गेहूं का उत्पादन अनुमान 1127 लाख टन से घटकर 1105 लाख टन नियत किया जो 2021-22 सीजन के उत्पादन 1077 लाख टन से काफी अधिक था
लेकिन उद्योग - व्यापार समीक्षकों का मानना है कि गेहूं का वास्तविक उत्पादन 1020-1030 लाख टन से अधिक नहीं हुआ। गेहूं की सरकारी खरीद 2021-22 के 188 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 262 लाख टन पर पहुंची मगर नियत लक्ष्य 343 लाख टन से काफी पीछे रह गई।
चालू रबी सीजन में 24 नवम्बर तक गेहूं का कुल उत्पादन क्षेत्र 24,860 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है जबकि बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है। पंजाब हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी जोरदार बिजाई हो रही है जबकि अन्य प्रांतों में भी यह जोर पकड़ने लगी है।
पिछले सप्ताह केन्द्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में खरीफ एवं रबी फसलों के सम्बन्ध में एक समीक्षा बैठक आयोजित हुई जिसमें यह तथ्य उभरकर सामने आया कि खरीफ सीजन में फसलों के लिए मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं रही।
मानसून में देरी तथा अगस्त के सूखे की वजह से धान सहित अन्य फसलों को नुकसान हुआ। हालांकि सितम्बर में हुई सामान्य वर्षा से नुकसान में कुछ कमी आई। अक्टूबर का महीना भी शुष्क एवं गर्म रहा। इसके फलस्वरूप धान (चावल), दलहन, तिलहन, गन्ना एवं कपास के उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है।