iGrain India - जेनेवा । भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टीओ) को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि वह चावल के निर्यात पर न तो कोई सब्सिडी दे रहा है और न ही केन्द्रीय पूल से वैश्विक बाजार में इसका निर्यात कर रहा है।
चावल के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने की दृष्टि से आवश्यक था और जरूरतमंद देशों को उसके विशेष आग्रह पर उसकी खाद्य सहायता जरूरतों को पूरा करने के लिए चावल का निर्यात कोटा आवंटित किया जाता है।
डब्ल्यू टीओ की कृषि समिति की बैठक में चावल का निर्यात कोटा आवंटित किया जाता है। डब्ल्यू टीओ की कृषि समिति की बैठक में भारत के प्रतिनिधि ने कहा कि चावल की खरीद एवं जरूरतमंद देशों की सहायता सहित अन्य तमाम बातों के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचनाओं तथा निर्देशों का दस्तावेज जमा किया जा रहा है जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि भारत ने डब्ल्यू टीओ के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
उल्लेखनीय है कि डब्ल्यू टीओ का एक नियम कहता है कि कोई भी देश अपने किसी खास जिंस के सकल उत्पादन के अधिकतम 10 प्रतिशत भाग तक ही सब्सिडी का विस्तार कर सकता है लेकिन साथ ही यह प्रावधान है कि सब्सिडी वाले कृषि या खाद्य उत्पादों का विदेशों में निर्यात नहीं होना चाहिए।
भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानो से धान की खरीद की जाती है मगर केन्द्रीय पूल से चावल का निर्यात नहीं किया जाता है। इससे वैश्विक बाजार में रियायती मूल्य वाला चावल नहीं पहुंचता है और न ही वहां कारोबार में कोई विघ्न पड़ता है।
भारत ने यूरोपीय संघ तथा अमरीका से कहा है कि वे अपने यहां प्रदत्त सब्सिडी के बारे में और अधिक आंकड़ा या जानकारी उपलब्ध करवाएं। भारत में किसानों को दी जा रही सहायता घरेलू प्रभाग तक के लिए सीमित है और इसका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से कोई लेना देना नहीं है।