iGrain India - पुणे । अनिश्चित एवं अनियमित मानसून के कारण उत्पादन घटने से खाद्य उत्पादों के अभाव की आशंका को देखते हुए पॉल्ट्री उद्योग अब सरकार से मक्का तथा सोयाबीन के आयात की नीति को उदार या सरल बनाने तथा सीमा शुल्क में कटौती करने का आग्रह कर रहा है।
उसका कहना है कि केवल आम लोगों को ही खाद्यान्न एवं तिलहन-तेल की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा बल्कि पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड उद्योग को भी कठिनाई होगी। समीक्षकों के मुताबिक टुकड़ी चावल एवं मक्का- पॉल्ट्री उद्योग के दो प्रमुख अवयव हैं।
उद्योग को आशंका है कि आगामी महीनों के दौरान इन दोनों जिंसों के दाम में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है क्योंकि एथनॉल निर्माण में इन दोनों कच्चे माल की मांग और खपत बढ़ने की उम्मीद है। सरकार ने एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है इसलिए अनाज पर आधारित एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है।
कम्पाऊण्ड फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन का कहना है कि केन्द्र सरकार को शीघ्र ही एक पत्र भेजा जाएगा जिसमें मक्का और सोयाबीन पर आयात शुल्क में कटौती करने की मांग की जाएगी।
चेयरमैन के अनुसार प्रतिकूल मौसम एवं अगस्त के भयंकर सूखे के कारण महाराष्ट्र में करीब 30 प्रतिशत सोयाबीन की फसल क्षतिग्रस्त हो गई है। चूंकि केन्द्र सरकार एथनॉल निर्माण में मक्का के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना बना रही है इसलिए पॉल्ट्री उद्योग को फीड के लिए मक्का प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली के एक अग्रणी चावल कारोबारी एवं निर्यातक का कहना है कि पिछले छह माह के दौरान टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) का भाव 22 रुपए प्रति किलो से 18 प्रतिशत या 4 रुपए बढ़कर 26 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।
सरकार ने कुछ देशों के लिए इसके निर्यात का कोटा भी आवंटित किया है। घरेलू प्रभाग में भी टुकड़ी चावल की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। अनाज पर आधारित एथनॉल निर्माण की जिन डिस्टीलरीज का पिछले साल से निर्माण हो रहा था उसमें जनवरी 2024 से उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। उन डिस्टीलरीज की तरफ से ब्रोकन राइस की खरीद के लिए पूछ-परख भी आरंभ कर दी है।
देश में पॉल्ट्री उद्योग एवं एथनॉल निर्माण उद्योग- दोनों का तेजी से विकास हो रहा है और उसमें मक्का, टुकड़ी चावल तथा सोयामील एवं अन्य अनाजों की मांग तथा खपत बढ़ने के आसार हैं। इससे कीमतों में मजबूती का माहौल बन सकता है।