iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) तथा वाणिज्यिक सतर्कता एवं सांख्यकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक सात महीनों में देश से बासमती चावल का निर्यात तो करीब 2 लाख टन बढ़ गया मगर सामान्य या गैर बासमती चावल के निर्यात में जबरदस्त गिरावट आ गई।
इसका प्रमुख कारण 20 जुलाई से गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना रहा। हालांकि सरकारी तौर पर अनेक देशों के लिए सफेद चावल का निर्यात कोटा आवंटित किया गया मगर इसका शिपमेंट नहीं या नगण्य हो सका।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के शुरूआती सात महीनों में यानी अप्रैल से अक्टूबर 2023 के दौरान देश से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 26.08 लाख टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2022 के इन्हीं महीनों के कुल शिपमेंट 24.10 लाख टन से करीब 8 प्रतिशत था 2 लाख टन ज्यादा है।
इसी तरह समीक्षाधीन अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा में बासमती चावल की निर्यात आमदनी भी 2.545 अरब डॉलर से 16.27 प्रतिशत बढ़कर 2.959 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि कुछ समय के लिए बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन नियत किया गया था मगर बाद में इसे घटाकर 950 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया गया। इससे निर्यात प्रदर्शन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ।
लेकिन सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होने से गैर बासमती चावल का निर्यात अप्रैल- अक्टूबर 2022 के 102.10 लाख टन से लुढ़ककर अप्रैल अक्टूबर 2023 में 73.18 लाख टन पर सिमट गया।
इसके फलस्वरूप इसकी निर्यात आमदनी भी इसी अवधि में 3.637 अरब डॉलर से 20.16 प्रतिशत घटकर 2.904 अरब डॉलर पर सिमट गई। सरकार ने 26 अगस्त से सेला गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया लेकिन निर्यात प्रदर्शन पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल का भाव काफी ऊंचा होने के कारण इस सीमा शुल्क के बावजूद भारतीय गैर बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य अन्य निर्यातक देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी या आकर्षक स्तर पर बरकरार है।