iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) 2150 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है लेकिन भारत ब्रांड नाम से आटा बेचने वाली सहकारी एजेंसियों को इससे 435 रुपए प्रति क्विंटल के कम दाम पर यानी 1715 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है।
नैफेड, एनसीसीएफ तथा केन्द्रीय भंडार को अब भारतीय खाद्य निगम से 1715 रुपए प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीदने का अवसर मिल जाएगा। इस गेहूं की प्रोसेसिंग करवाकर ये एजेंसियां 'भारत' ब्रांड के आटा की बिक्री करेगी। इस आटा का दाम 27.50 रुपए प्रति किलो नियत किया गया था जबकि सब्सिडी वाले गेहूं से निर्मित आटा का मूल्य अभी निश्चित नहीं किया गया है।
जब तक इसकी घोषणा नहीं होती तब तक एजेंसियों को आटा की बिक्री पर भारी मार्जिन प्राप्त होता रहेगा। लेकिन चूंकि सरकार खाद्य महंगाई घटाने के लिए बेचैन है इसलिए भारत आटा का दाम भी जल्दी ही घटाया जा सकता है। इस सब्सिडी के कारण भारतीय खाद्य निगम को जो वित्तीय नुकसान होगा उसे मूल्य स्थिरीकरण कोष से पूरा किया जाएगा।
खाद्य निगम को इन केन्द्रीय एजेंसियों को 1715 रुपए प्रति क्विंटल के रियायती मूल्य पर गेहूं की बिक्री सुनिश्चित करने हेतु तत्काल आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है।
समझा जाता है कि इन एजेंसियों ने गेहूं से आटा के निर्माण पर मार्जिन बढ़ाने का आग्रह किया था क्योंकि गेहूं से आटा के निर्माण का प्रोसेसिंग खर्च 6 रुपए प्रति किलो बताया गया।
इस आधार पर भारत आटा का दाम कम से कम 29.50 रुपए प्रति किलो नियत होने पर ही एजेंसियों को कुछ मार्जिन मिल सकता था।
लेकिन सरक़ार आटा का दाम बढ़ाने के लिए तैयार नहीं थी इसलिए उसने गेहूं का निर्गत मूल्य (इश्यू प्राइस) घटाने का फैसला कर लिया अब इन एजेंसियों को भारत आटा की बिक्री पर बेहतर मार्जिन प्राप्त हो सकता है।
ध्यान देने की बात है कि सरकार ने पिछले सप्ताह इन सहकारी एजेंसियों- नैफेड, एनसीसीएफ तथा केन्द्रीय भंडार को प्रत्येक माह 1.50 लाख टन भारत के आटा की बिक्री सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था लेकिन इन एजेंसियों द्वारा 86,084 टन गेहूं का उठाव किया गया और लगभग 54 हजार टन आटा की बिक्री की गई। आगे इसकी बिक्री में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है।