iGrain India - सोलापुर । गन्ना की पैदावार एवं चीनी की औसत रिकवरी दर में आ रही गिरावट को देखते हुए देश-विदेश के लगभग सभी संघों-संगठनों ने 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान भारत में चीनी का उत्पादन घटने तथा आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल रहने का अनुमान लगाया है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस बार भारत को विदेशों से चीनी का आयात करने के लिए विवश होना पड़ सकता है। समीक्षकों के अनुसार पिछले सात साल में पहली बार भारत में मांग और खपत के मुकाबले चीनी का उत्पादन कम होने की आशंका है।
देश के दो अग्रणी चीनी का उत्पादन राज्य- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में सूखे की स्थिति जटिल रहने से गन्ना की फसल इस बार बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे चीनी के साथ-साथ एथनॉल के उत्पादन में भी गिरावट आने की संभावना है।
भारत से वर्ष 2024 के दौरान भी चीनी का निर्यात बंद रहने की संभावना है। दरअसल 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में भी गन्ना एवं चीनी का उत्पादन बेहतर होने के आसार नहीं है।
अभी तो गन्ना की क्रशिंग का पीक सीजन चल रहा है इसलिए चीनी के उत्पादन का आंकड़ा ज्यादा नहीं घटा है लेकिन मार्च तक पता चल जाएगा कि उत्पादन की वास्तविक स्थिति कैसी है। समझा जाता है कि तब तक महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना की क्रशिंग बंद हो जाएगी।
ज्ञात हो कि देश के अंदर चीनी के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की भागीदारी संयुक्त रूप से लगभग आधी रहती है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अगले मार्केटिंग सीजन के लिए इन दोनों राज्यों में गन्ना की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण घटने लगा है और वे ऐसी फसलों की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिसे कम पानी की आवश्यकता पड़ती है और जिसकी परिपक्वता अवधि छोटी होती है।
दो साल पहले भारत से 110 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था जबकि विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2024 में नहीं तो वर्ष 2025 की पहली छमाही के दौरान इसे भारी मात्रा में चीनी का आयात करना पड़ सकता है। इससे प्रतीत होता है कि अगले कई महीनों तक चीनी के घरेलू बाजार भाव में अपेक्षित नरमी नहीं आएगी।