iGrain India - मुम्बई । ऊंचे घरेलू बाजार भाव के कारण इस वर्ष भारत में विदेशों से तुवर का आयात बढ़ रहा है। मालूम हो कि इसके आयात पर न तो कोई शर्त-नियंत्रण और न ही सीमा शुल्क लागू है। तुवर का अधिकांश आयात म्यांमार से किया जाता है जहां नई फसल की जोरदार आवक शीघ्र ही शुरू होने वाली है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष (2023-24) के शुरूआती आठ महीनों में यानी अप्रैल-नवम्बर 2023 के दौरान देश में करीब 5.36 लाख टन अरहर (तुवर) का आयात हुआ जो वर्ष 2022 के इन्हीं महीनों के आयात 4.33 लाख टन से 1.03 लाख टन ज्यादा रहा। इससे पूर्व वर्ष 2021 की समान अवधि में 4.78 लाख टन तुवर का आयात हुआ था। आयात की प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। घरेलू फसल भी आने लगी है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के दौरान तुवर का आयात अप्रैल में 55 हजार टन से बढ़कर 83 हजार टन, जून में 15 हजार टन से उछलकर 30 हजार टन, जुलाई में 7 हजार टन से उछलकर 21 हजार टन,
अगस्त में 23 हजार टन से बढ़कर 38 हजार टन, सितम्बर में 50 हजार टन से सुधरकर 63 हजार टन तथा अक्टूबर में 1.10 लाख टन से बढ़कर 1.66 लाख टन पर पहुंच गया। मई में तुवर का आयात 7 हजार टन से उछलकर 38 हजार टन पर पहुंचा लेकिन नवम्बर में 1.67 लाख टन से घटकर 96 हजार टन पर अटक जाने की संभावना है।
म्यांमार के साथ-साथ अफ्रीकी देशों से भी बड़े पैमाने पर मसूर का आयात होता है जिसमें मोजाम्बिक मलावी एवं सूडान मुख्य रूप से शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2022-23 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश में कुल 8.95 लाख टन तथा 2021-22 में 8.40 लाख टन तुवर का आयात हुआ था जबकि इसकी मात्रा वित्त वर्ष 2020-21 में 4.43 लाख टन तथा 2019-20 में 4.50 लाख टन रही थी। समझा जाता है कि यदि मोजाम्बिक में माल नहीं अटकता तो तुवर का आयात और भी बढ़ सकता था।
घरेलू प्रभाग में तुवर की नई फसल पककर तैयार होने लगी है और आगे महीने से सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में इसकी चावल जोर पकड़ने लगेगी। हालांकि उत्पादन में कमी आने की आशंका है लेकिन ऊंचे बाजार भाव का फायदा उठाने के लिए के लिए किसान अपने स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का प्रयास कर सख्त हैं।