iGrain India - सोरिसो (भारती एग्री एप्प)। लैटिन अमरीकी देश- ब्राजील में सोयाबीन की फसल के लिए मौसम एक बार फिर प्रतिकूल हो गया है।
पिछले सप्ताहांत वहां सुदूर दक्षिणी भाग से लेकर उत्तरी राज्यों तक तापमान में भारी बढ़ोत्तरी हो गई और देश के कम से कम 10 राज्यों में यह 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर दर्ज किया गया सबसे प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य- माटो ग्रोसो के साथ-साथ गोईआस, टोकांटिन्स तथा माटो ग्रोसो डो सूल जैसे प्रांतों में तापमान 38 से 43 डिग्री के बीच रहा।
लगभग समूचे देश में पिछले सप्ताह मौसम शुष्क एवं गर्म बना रहा जिससे सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई। समझा जाता है कि चालू सप्ताह के दौरान भी इसमें ज्यादा बदलाव नहीं होगा। बाद में थोड़ी-बहुत बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार गर्म हवा की तेज लहर (हिट वेव) का प्रकोप अक्टूबर जितना लम्बा तो नहीं चलेगा लेकिन इस बार सोयाबीन की फसल को ज्यादा क्षेत्रफल में नुकसान हो सकता है क्योंकि वहां नवम्बर-दिसम्बर में नए-नए क्षेत्रों में इसकी बिजाई हुई।
इसके अलावा जिन क्षेत्रों में सोयाबीन की अगैती फसल में फूल लगने, दाना लगने तथा दाना के पुष्ट होने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है वहां भी फसल को क्षति पहुंचेगी।
सोयाबीन की थोड़ी-बहुत कटाई-तैयारी जहां कहीं हुई वहां इसकी औसत उपज दर निराशाजनक देखी गई। अब अत्यन्त गर्म एवं शुष्क मौसम के प्रकोप से अन्य क्षेत्रों में भी फसल की हालत खराब होती जा रही है जिसे देखते हुए विश्लेषकों ने ब्राजील में सोयाबीन के उत्पादन अनुमान में नए सिरे से कटौती शुरू कर दी है। अगैती बिजाई वाली फसल पर इस शुष्क एवं गर्म मौसम का विशेष प्रतिकूल असर पड़ेगा।
पिछैती बिजाई वाली फसल अपेक्षाकृत कम प्रभावित होगी क्योंकि उसमें जनवरी-फरवरी में दाना लगेगा जबकि तब तक मौसम की हालत कुछ सुधर सकती है।
ब्राजील में सोयाबीन की लगभग 94 प्रतिशत बिजाई पूरी हो चुकी है जबकि गत वर्ष इस अवधि तक 100 प्रतिशत बिजाई पूरी हो गई थी। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं सुदूर दक्षिणी भाग में सोयाबीन की बिजाई बाकी है।
अगले महीने से ब्राजील में सोयाबीन फसल की नियमित कटाई -तैयारी शुरू हो सकती है जबकि फरवरी-मार्च में इसकी गति काफी तेज रहेगी। अनेक क्षेत्रों में भीषण गर्मी की वजह से फसल सूख गई या बीज में अंकुरण नहीं हुआ।
वहां दोबारा बिजाई की आवश्यकता थी लेकिन शुष्क मौसम को देखते हुए किसानों ने जोखिम उठाना पसंद नहीं किया। सोयाबीन का वास्तविक उत्पादन पूर्व अनुमान से काफी कम होने की संभावना है।