iGrain India - इंदौर । सोयाबीन के सबसे प्रमुख राज्य-मध्य प्रदेश में पिछले पांच वर्षों से सूरजमुखी तेल की मांग एवं खपत में बढ़ोत्तरी हो रही है जिससे सोया उद्योग की चिंता बढ़ने लगी है क्योंकि वहां सोयाबीन तेल की मांग घटने लगी है।
दरअसल दोनों खाद्य तेलों की कीमतों में अंतर काफी घट गया है जबकि सूरजमुखी तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ गई है।
आर्थिक विकास संस्थान की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में अब खाद्य तेल उपभोक्ताओं की पसंद एवं प्राथमिकता में बदलाव आने लगा है और खासकर शहरी क्षेत्रों में सूरजमुखी तेल की लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है।
वर्ष 2018 से 2022 के बीच 16 प्रतिशत उपभोक्ता सूरजमुखी का उपयोग करते थे जबकि वर्ष 2023 में इसकी संख्या बढ़कर 24 प्रतिशत पर पहुंच गई।
दूसरी ओर वहां सोया तेल की लोकप्रियता घट और इसकी खपत करने वालो की संख्या 80 प्रतिशत से गिरकर 41 प्रतिशत रह गई।
मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भी इसी तरह का रुख देखा गया जहां समीक्षाधीन अवधि के दौरान सूरजमुखी तेल का उपयोग 6 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत पर पहुंचा मगर सोयाबीन तेल की खपत 79 प्रतिशत से घटकर 45 प्रतिशत रह गई।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार विदेशों और खासकर रूस-यूक्रेन से विशाल मात्रा में सस्ते दाम पर सूरजमुखी तेल का आयात होने से घरेलू प्रभाग में इसका भाग घटकर सोयाबीन तेल के लगभग बराबर रह गया है।
इसके अलावा राज्य के होटलों-रेस्तरां एवं अन्य आतिथ्य सत्कार केन्द्रों में सूरजमुखी तेल की मांग बढ़ती जा रही है। इसका कारण यह है कि सोयाबीन तेल की जीवनावधि 8 दिनों की मानी जाती है जबकि सूरजमुखी तेल 15-20 दिनों में भी खराब नहीं होता है।
सोया तेल की मुकाबले सूरजमुखी तेल को एक प्रीमियम क्वालिटी का खाद्य तेल माना जाता है और जब इसका दाम सोयाबीन तेल के बराबर हो तो स्वाभाविक रूप से लोग प्रीमियम तेल का हरी उपयोग करना चाहेंगे।
वर्तमान समय में सूरजमुखी तेल का औसत खुदरा मूल्य 124.28 रुपए प्रति लीटर एवं सोया तेल का 124.01 रुपए प्रति लीटर चल रहा है।