iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि देश के 150 प्रमुख बांधों-जलाशयों में लगातार 13 वें सप्ताह पानी का स्तर उसकी कुल भंडारण क्षमता के 60 प्रतिशत से नीचे रहा और खासकर दक्षिण भारत में इसकी स्थिति काफी खराब रही।
आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार दक्षिण भारत में स्थित बांधों-जलाशयों में पानी की कुल भंडारण क्षमता 53.334 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है जबकि वहां इसके सापेक्ष जल स्तर करीब 21.129 बीसीएम या 40 प्रतिशत ही है।
राष्ट्रीय स्तर पर कुल मिलाकर इन 150 जलाशयों की कुल क्षमता 178.784 बीसीएम है जबकि उसमें केवल 59 प्रतिशत या 105.273 बीसीएम पानी का ही भंडार मौजूद है जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत तथा 10 वर्षीय औसत स्तर से 35 प्रतिशत बिंदु कम है।
कुल 150 जलाशयों में से 33 में पानी का भंडार कुल क्षमता के 40 प्रतिशत से भी कम है जिसमें दक्षिण भारत के 18 एवं मध्यवर्ती क्षेत्र के 8 जलाशय भी शामिल हैं। देश के 10 राज्यों में जलाशयों में पानी का भंडार सामान्य स्तर से कम है। पंजाब में गत सप्ताह 29 प्रतिशत नीचे था मगर चालू सप्ताह के दौरान 38 प्रतिशत नीचे हो गया।
हालांकि मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसम्बर 2023 के दौरान देश में सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जिससे तमिलनाडु एवं कर्नाटक के कुछ जलाशयों में यानी का भंडार थोड़ा-बहुत बढ़ गया लेकिन वर्षा का दायरा सीमित होने से अन्य प्रांतों के जलशयों में पानी का स्तर घट गया।
तमिलनाडु और कर्नाटक के भी सीमित क्षेत्रों में ही ज्यादा बारिश हुई। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के तटवर्ती जिलों, तेलंगाना एवं उड़ीसा में भी मिचोंग तूफान से बारिश हुई थी।
उत्तरी क्षेत्र के 10 जलाशयों में पानी का भंडार घटकर 11.150 बीसीएम रह गया जो कुल भंडारण क्षमता 19.663 बीसीएम का 57 है। पिछले सप्ताह इन जलाशयों में 59 प्रतिशत पानी का भंडार मौजूद था।
पश्चिमोत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और कई क्षेत्रों में घने कोहरे का भी प्रकोप देखा जा रहा है। इससे खेतों की मिटटी से नरमी सूखने की गति धीमी पड़ गई है मगर रबी फसलों को एक-दो अच्छी बारिश की सख्त आवश्यकता है। लेकिन इसके साथ ओलावृष्टि नहीं होनी चाहिए अन्यथा फसलों को नुकसान हो सकता है।