iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार भारत को दिसम्बर 2027 तक दलहन-दाल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने दावा किया है कि जनवरी 2028 से देश में विदेशी दलहनों का आयात पूरी तरह बंद हो जाएगा। वर्ष 2014-15 के दौरान देश में 43.60 लाख टन दलहनों का आयात हुआ था जो 2023-24 के वित्त वर्ष में नवम्बर 2023 तक घटकर 21.70 लाख टन रह गया। पूरे वित्त वर्ष के दौरान दलहनों का कुल आयात 30 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि दलहनों की खरीद के लिए सरकार ने जो नया पोर्टल लांच किया है वह किसानों के हित में अच्छा प्रयास है।
यदि दलहन का भाव घटकर न्यूतनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आता है तब भी सरकार इसकी खरीद करेगी और जब ऊपर रहेगा तब भी सरकार प्रचलित बाजार मूल्य पर इसकी खरीद कर सकती है ताकि ऊंचे बफर स्टॉक को बरकरार रखा जा सके। इससे उत्पादकों को नियमित रुपए से फायदा सुनिश्चित होगा और दलहन उत्पादन के प्रति उसका उत्साह बढ़ेगा।
दलहन उत्पादकों के लिए यह सर्वोत्तम उपहारों में से एक है और इससे उसकी आमदनी में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी। वर्ष 2027 तक सरकारी दावे के अनुरूप यदि भारत दाल-दलहन के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाता है और विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता खत्म हो जाएगी तो देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत करने का भी अच्छा अवसर मिल जाएगा।
उधर ऑल इंडिया दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि यह देखना आवश्यक होगा कि सरकार का यह प्रयास किसानों के लिए कितना लाभप्रद होगा क्योंकि सहकारी एजेंसियों- नैफेड एवं एनसीसीएफ को दलहन की बिक्री आसानी से करना मुश्किल है।
ये एजेंसियां अनेक शर्तें रखती हैं और गुणवत्ता मामलों का निर्धारण भी करती हैं जिसे पूरा करना अधिकांश किसानों के लिए मुश्किल हो सकता है। इस बार तुवर का घरेलू उत्पादन कम होने की संभावना है जबकि इसका भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है।