iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार का कहना है कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं तथा चावल की नियमित बिक्री जारी रहने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में काफी हद तक स्थिरता आ गई है।
इस योजना के तहत गेहूं की बिक्री में तो जबरदस्त इजाफा हुआ है लेकिन चावल की बिक्री अत्यन्त सीमित मात्रा में संभव हो सकी है। केन्द्रीय पूल से खाद्यान्न की भारी निकासी हो रही है जिससे वहां खासकर गेहूं का स्टॉक काफी घट गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2024 को भारतीय खाद्य निगम के पास 344.90 लाख टन चावल एवं गेहूं का स्टॉक मौजूद था जबकि 332.70 लाख टन चावल के समतुल्य धान का स्टॉक भी उपलब्ध था जिसे कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलर्स के बीच आवंटित किया गया। आवंटन की प्रक्रिया अब भी जारी है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय पूल में कम से कम 210.40 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद रहना आवश्यक है। 1 अप्रैल 2024 को केन्द्रीय पूल में 74.60 लाख टन गेहूं का स्टॉक रहना अनिवार्य है।
1 जनवरी को उसमें 164.70 लाख टन गेहूं का स्टॉक उपलब्ध था जबकि बफर नियमों के आधार पर 138 लाख टन का स्टॉक होना जरुरी था। फिर भी यह स्टॉक वर्ष 2017 के बाद सबसे कम माना जा रहा है।
खुले बाजार बिक्री योजना के अंतर्गत सरकार ने साप्ताहिक ई-नीलामी में गेहूं की बिक्री का ऑफर बढ़ाकर 4 लाख टन नियत किया है जिससे मिलर्स- प्रोसेसर्स को इसकी अधिक मात्रा की खरीद करने का अवसर मिल रहा है। चालू सप्ताह के दौरान आयोजित नीलामी में गेहूं की बिक्री बढ़कर 3.62 लाख के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
ध्यान देने की बात है कि सरकारी खाद्यान्न की भारी बिक्री होने के बावजूद गेहूं और चावल के दाम में अपेक्षित गिरावट नहीं आई है लेकिन इतना अवश्य है कि इसमें भारी तेजी की संभावना पर ब्रेक लग गया है। इसके लिए कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं।
गेहूं एवं इसके उत्पादों तथा टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) के निर्यात पर वर्ष 2022 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर जुलाई 2023 में पाबन्दी लगाई गई। सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।