iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि पिछले सीजन के मुकाबले मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान धान-चावल की सरकारी खरीद कम हुई है लेकिन इससे सरकार ज्यादा चिंतित नहीं है।
उसका कहना है कि आगामी दिनों के दौरान कुछ राज्यों में खरीद की गति तेज हो सकती है। लेकिन जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं उससे प्रतीत होता है कि चावल की खरीद नियत लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगी।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने चालू मार्केटिंग सीजन के लिए 521.30 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि सीजन के शुरुआती तीन माह या अक्टूबर से दिसम्बर 2023 के दौरान इसकी कुल खरीद घटकर 299.50 लाख टन पर सिमट गई जो गत वर्ष (2022) की समान अवधि की खरीद 347.90 लाख टन से 14 प्रतिशत कम लेकिन 2021 की इसी अवधि की खरीद से 11 प्रतिशत अधिक है।
उल्लेखनीय है कि मार्केटिंग सीजन की पहली तिमाही के दौरान ही इसकी सर्वाधिक खरीद होती है। पंजाब-हरियाणा में धान की खरीद पहले ही समाप्त हो चुकी है जबकि छत्तीसगढ़, तेलंगाना, उड़ीसा एवं मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में खरीद की गति एवं मात्रा उत्साहवर्धक नहीं है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं बिहार में भी खरीद का प्रदर्शन सुधारे जाने की आवश्यकता है। तमाम कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों में आपूर्ति के लिए प्रति वर्ष 400-410 लाख टन चावल की आवश्यकता पड़ती है जबकि सीजन के अंत में एक निश्चित मात्रा में इसका बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद रहना भी अनिवार्य होता है।
अब तक हुई खरीद और बकाया स्टॉक को देखते हुए चावल की उपलब्धता की स्थिति काफी जटिल प्रतीत होती है। बेशक यह दावा किया जा रहा है कि चावल का सरकारी स्टॉक इसकी कुल जरूरत की तुलना में ज्यादा रहेगा लेकिन यह विगत वर्षों की तुलना में बहुत कम रह सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान मौसम एवं वर्षा की हालत अनुकूल नहीं होने के कारण धान के उत्पादन में कमी आई है जिसे देखते हुए कृषि मंत्रालय ने चावल का उत्पादन अनुमान 1105 लाख टन से घटाकर 1063 लाख टन निर्धारित कर दिया है। खुले बाजार में चावल का भाव मजबूत बना हुआ है और इसे नीचे लाने के लिए तरह-तरह के कदम उठा रही है।