iGrain India - नई दिल्ली । कृषि एवं खाद्य उद्योग तथा व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त राशन वितरण की योजना को व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए और विदेशी धरती पर कृषि उत्पादन शुरू करने के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर पारम्परिक समझ का वातावरण तैयार होना चाहिए ताकि किसी पक्ष को कोई शिकायत न हो।
विगत वर्षों में इस तरह की अनेक शिकायतें होती रही हैं। इसके साथ-साथ सरकार को कृषि फसलों की उपज दर बढ़ाने के बारे में भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इसके लिए सहयोग-समर्थन, उत्पादकों को आवश्यक जानकारी तथा भंडारण सुविधाओं के विकास-विस्तार पर ध्यान देना आवश्यक है।
राशन कार्ड धारकों की खाद्य सुरक्षा के लिए मुफ्त राशन वितरण का कार्यक्रम आमतौर पर अच्छा है लेकिन इसके लिए धरातल पर वास्तविक तथ्यों की पहचान की जाए तो स्थिति और भी बेहतर हो सकती है।
दरअसल सरकार अभी 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त में राशन का वितरण कर रही है जो वास्तव में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाली जनसंख्या से करीब तीन गुणा ज्यादा है।
जो परिवार आर्थिक राशन वितरण योजना का लाभ दिया जा रहा है। इसके बजाए सरकार को खुले बाजार में खाद्यान्न का अधिक से अधिक स्टॉक मौजूद रखने पर जोर देना चाहिए। उद्योग-व्यापार क्षेत्र को पर्याप्त मात्रा में स्टॉक प्राप्त होना आवश्यक है।
इससे सरकार को केवल अनिवार्य आवश्यकता के लिए ही खाद्यान्न की खरीद की जरूरत पड़ेगी और बाजार में कारोबार की स्थिति में सुधार आएगा।