iGrain India - भोपाल । गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों के अग्रणी उत्पादक राज्यों में शामिल- मध्य प्रदेश में इस समय जिस तरह का मौसम चल रहा है वह गेहूं की फसल के लिए तो लाभदायक है लेकिन चना तथा मसूर की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके साथ-साथ सरसों की फसल पर रोगों- कीड़ों का प्रकोप फैलने की आशंका भी है।
मध्य प्रदेश के विभिन्न भागों में पिछले सात-आठ दिन से भयंकर ठंड एवं सहित लहर के साथ रुक-रुक कर बारिश भी हो रही है। इसके साथ-साथ गत 5-6 दिनों से भोपाल, ग्वालियर एवं चंबल समेत कुछ अन्य जिलों में घना कोहरा छाया रहता है और धुप नहीं निकल रही है। इसके फलस्वरूप पौधों के विकास में बाधा पड़ने का खतरा है। किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है।
मध्य प्रदेश में रबी फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और अब सबका ध्यान मौसम पर केन्द्रित हो गया है। पिछले कुछ दिनों से हो रही वर्षा से गेहूं की फसल का बेहतर विकास होने की उम्मीद है लेकिन घने कोहरे का प्रकोप ज्यादा दिन तक रहने पर चना एवं मसूर की फसल को नुकसान हो सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षा का दौर थमने के बाद सरसों की फसल में माहू रोग का खतरा बढ़ सकता है इसलिए किसानों को सजग-सतर्क रहना होगा।
मध्य प्रदेश मसूर का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है और इस बार वहां इसके क्षेत्रफल में कुछ इजाफा हुआ है। वहां गेहूं, चना और सरसों का उत्पादन भी बड़े का पैमाने पर होता है।
पंजाब के बाद मध्य प्रदेश केन्द्रीय पूल में गेहूं का योगदान देने वाला दूसरा सबसे प्रमुख राज्य बन गया है। इसी तरह वहां नैफेड द्वारा चना की खरीद भी भारी मात्रा में की जाती है। पिछले सीजन में वहां सरसों का भी शानदार उत्पादन हुआ था।