iGrain India - नई दिल्ली । जोरदार बिजाई एवं मौसम की अनुकूल स्थिति को देखते हुए एक सरकारी संस्थान ने 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन के दौरान सरसों का कुल घरेलू उत्पादन उछलकर 131.40 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है।
राजस्थान के भरतपुर में स्थित सरसों- रेपसीड अनुसंधान निदेशालय के निदेशक का कहना है कि सरसों की फसल के लिए मौसम की हालत अभी तक अनुकूल बनी हुई है और कहीं से खड़ी फसल पर कीड़ों-रोगों के प्रकोप की कोई सूचना भी नहीं मिली है।
यदि अगले चार से छह सप्ताहों (एक-डेढ़ महीने) के दौरान मौसम अनुकूल रहा तो सरसों का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सरसों का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 98.80 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है जो पिछले सीजन के रिकॉर्ड क्षेत्रफल से भी 2.2 प्रतिशत ज्यादा है। इस बार खासकर उत्तर प्रदेश में सरसों का रकबा ज्यादा बढ़ा है।
किसान संगठनों का कहना है कि सरसों का रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन होने तथा विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते खाद्य तेलों का आयात जारी रहने पर इस महत्वपूर्ण तिलहन का भाव एक बार फिर घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ सकता है जिससे उत्पादकों को भारी घाटा होने की आशंका है।
केन्द्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 सीजन के 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
कहीं-कहीं अगैती सरसों के नए माल की थोड़ी-बहुत आवक होने लगी है जिसका भाव महज 4000/4300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बताया जा रहा है।
फरवरी में करीब 5-6 लाख टन सरसों की आवक होती है जबकि मार्च-अप्रैल में यह बढ़कर 12-14 लाख टन पर पहुंच जाती है। सरकारी एजेंसियों- नैफेड तथा हैफेड की सरसों खरीद प्रक्रिया मार्च में शुरू हो सकती है।
वर्ष 2020 एवं 2021 के दौरान सरसों उत्पादकों को आकर्षक वापसी हासिल हुई थी और 2022 में भी सरसों का दाम समर्थन मूल्य से ऊंचा रहा था मगर 2023 में यह नीचे आ गया और 2024 में भी नीचे रहने की संभावना है। सरकार को भारी मात्रा में इसकी खरीद करनी पड़ेगी।