iGrain India - चेन्नई । मद्रास उच्च न्यायालय ने कस्टम विभाग को विदेशों से आयातित सुपारी की खेप के लिए मूल उद्गम प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट ऑफ ऑरिजिन) का सत्यापन तेजी से करने का आदेश दिया है।
समझा जाता है कि सुपारी की कुछ खेपों को छह महीनों से कुछ अधिक समय से बंदरगाहों पर रोककर रखा गया है जिससे आयातकों को भारी कठिनाई हो रही है।
अदालत ने कहा है कि बंदरगाह पर माल पहुंचने के बाद 30 दिनों के अंदर प्रमाण पत्र का सत्यापन हो जाना चाहिए। लम्बे समय से अटकी खेप से परेशान एक आयातक ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी।
इसका निस्तारण करते हुए न्यायाधीश ने चेन्नई के सीमा शुल्क आयुक्त को निर्देश दिया है कि कोर्ट के आदेश की कॉपी प्राप्त होने के बाद एक माह के अंदर सत्यापन का कार्य पूरा हो जाना चाहिए।
कोर्ट ने आयातक की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि सुपारी की जीवनावधि (सेल्फ लाइफ) सीमित होती है और इसे लम्बे समय तक सुरक्षित रखना कठिन होता है क्योंकि इसकी क्वालिटी खराब होने का खतरा रहता है।
मामला कुछ इस प्रकार है। नई दिल्ली की एक फर्म ने 24 जून 2023 की तिथि वाले बिल ऑफ एंट्री के तहत श्रीलंका से सुपारी का आयात किया था और उसने भारत श्रीलंका मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) के अंतर्गत आयातित माल पर सीमा शुल्क से छूट का दावा किया था।
इस तरह की छूट प्राप्त करने के लिए आयातकों को आयातित माल के उद्गम स्रोत का प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक होता है। इस मामले में आयातक ने श्रीलंका के वाणिज्य विभाग से प्राप्त उद्गम प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत कर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि जब सुपारी की खेप भारतीय बंदरगाह पर पहुंची तब उस पर मनमानी शर्ते थोप दी गईं और कहा गया कि यह उद्गम प्रमाण पत्र असली नहीं है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उद्गम प्रमाण पत्र पर एक क्यू आर कोड भी अंकित है। जब सत्यापन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए श्रीलंकाई उच्चायुक्त से आग्रह किया गया तो उसने यह कहते हुए इससे इंकार कर दिया कि क्यू आर कोड का सत्यापन रीयल टाइम में ही किया जा सकता है। सीमा शुल्क विभाग की ओर से भी दलील दी गई।