iGrain India - रायपुर । केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले एक अग्रणी राज्य- छत्तीसगढ़ में वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान 6 जनवरी 2024 तक किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कुल 82.44 लाख टन धान की खरीद की गई और इसके एवज में किसानों के बैंक खाते में 17,773 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
लेकिन मंडियों (क्रय केन्द्रों) से धान के उठाव की गति धीमी चल रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ धान खरीद की मात्रा गत सीजन के 15 क्विंटल से बढ़ाकर इस बार 21 क्विंटल निर्धारित किया है। राज्य में 31 जनवरी 2024 तक धान की सरकारी खरीद जारी रहेगी।
हालांकि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग के लिए अब तक 68.55 लाख टन से कुछ अधिक धान के उठाव के वास्ते डीओ जारी किया जा चुका है मगर मिलर्स द्वारा केवल 48.23 लाख टन धान का ही उठाव किया गया है।
उठाव की रफ्तार बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2023-24 के वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान राज्य में 130 लाख टन धान की रिकॉर्ड खरीद का लक्ष्य नियत किया है लेकिन उपलब्ध संकेतों से पता चलता है कि वास्तविक खरीद इस नियत लक्ष्य से काफी पीछे रहा जाएगी।
सरकारी क्रय केन्द्रों पर धान की आवक घटती जा रही है। समझा जाता है कि किसान पहले धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर अतिरिक्त बोनस की घोषणा होने का इंतजार कर रहे थे इसलिए सरकारी क्रय केन्द्रों पर इस खाद्यान्न की आपूर्ति कम हो रही थी।
राज्य में धान की सरकारी खरीद अब भी गत वर्ष से पीछे चल रही है। इससे केन्द्रीय पूल में उसके चावल के योगदान में कमी आ सकती है। राइस मिलर्स द्वारा भी किसानों से धान खरीदा जा रहा है।