iGrain India - अहमदाबाद । भारत के प्रधानमंत्री तथा मोजाम्बिक के राष्ट्रपति के बीच पिछले दिन रक्षा, आतंकवाद प्रतिरोध एवं अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सम्मिट 2024 से इधर गांधीनगर में हुई इस मीटिंग में दोनों नेताओं ने बेहतर माहौल में विचार-विमर्श किया।
सीएमओ के अनुसार भारतीय प्रधानमंत्री ने मोजाम्बिक के विकास की प्राथमिकता को सहयोग-समर्थन देने के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का इजहार किया।
दोनों नेताओं ने आगे द्विपक्षीय गठजोड़ की दिशा में नए रास्ते एवं अवसरों की तलाश करने पर भी बातचीत की जिसमें रक्षा, आतंकवाद प्रतिरोध, ऊर्जा, स्वास्थ्य, व्यापार एवं निवेश, कृषि, जल सुरक्षा, खनन, क्षमता निर्माण तथा समुद्री सहयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री ने 9 जनवरी को कहा था कि गुजरात में मोजाम्बिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी के साथ मिलकर काफी ख़ुशी हुई। इस तथ्य से यह बैठक खास हो गई कि उनका गुजरात के साथ बहुत पुराना रिश्ता है।
वे अहमदाबाद के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई आई एम) में अध्ययन कर चुके हैं। हमारी बातचीत रक्षा, कारोबार, ऊर्जा तथा सांस्कृतिक संबंध सहित कई अन्य क्षेत्रों पर विशेष रूप से केन्द्रित रही।
दरअसल भारत और मोजाम्बिक के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध तो काफी अच्छे है और भारत ने उससे वर्ष 2016 में तुवर आयात के लिए एक महत्वपूर्ण करार भी किया था लेकिन वर्ष 2023 में वहां से तुवर के आयात में कुछ गतिरोध उत्पन्न हो गया।
भारत में अरहर की आपूर्ति एवं उपलब्धता की जटिल स्थिति के कारण कीमतों में जबरदस्त उछाल आ गया। ऐसी हालत में भारत को मोजाम्बिक से इस महत्वपूर्ण दलहन का आयात बढ़ने की उम्मीद थी।
मोजाम्बिक के अनेक निर्यातक भी इसके लिए तैयार थे लेकिन एक बड़ी कम्पनी द्वारा अदालत के माध्यम से इसमें अड़ंगा लगा दिया गया। समझा जाता है कि मोजाम्बिक ने यह मामला अब सुलझा लिया है।
भारत का कहना है कि उसे मोजाम्बिक से तुवर के भारी आयात की जरूरत है और इसे केवल द्विपक्षीय समझौते में नियत मात्रा तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। ज्ञात हो कि मोजाम्बिक अफ्रिक में तुवर के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों में शामिल है।