iGrain India - कोच्चि । दक्षिण भारत के दोनों- शीर्ष उत्पादक राज्यों-केरल एवं तमिलनाडु में हाल की बारिश के बाद मौसम अब साफ होने लगा है जिससे छोटी इलायची के नए माल की तुड़ाई-तैयारी की गति तेज होने की उम्मीद है।
इसके फलस्वरूप नीलामी केन्द्रों में इसकी आवक बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। लगतार विश्लेषकों के अनुसार आपूर्ति में भारी बढ़ोत्तरी होने पर छोटी (हरी) इलायची के दाम में थोड़े दिनों के लिए कुछ नरमी आ सकती है लेकिन कुछ ऐसे कारक मौजूद है जो इसकी कीमतों को आगामी समय में मजबूत रखने में सहायक साबित होंगे।
पहली बात यह है कि हाल की असामयिक वर्षा से इलायची की फसल को कुछ नुकसान पहुंचने की आशंका है जबकि उसे पूर्व अगस्त-सितंबर के शुष्क एवं गर्म मौसम से भी फसल को हानि हुई थी।
इसके फलस्वरूप छोटी इलायची का उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित होने की संभावना है। इसके अलावा दुनिया के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ग्वाटेमाला में इलायची का भाव ऊंचा एवं तेज हो गया है जिससे खाड़ी क्षेत्र के देशों में भारतीय इलायची की मांग बढ़ने के आसार हैं।
वैसे भी वहां शीघ्र ही रमजान की मांग जोर पकड़ने वाली है। ग्वाटेमाला की तुलना में भारतीय इलायची की क्वालिटी काफी अच्छी होती है इसलिए इसका दाम भी अपेक्षाकृत ऊंचा रखा है। यदि दोनों देशों के माल की कीमत में कम अंतर रहता है तो आयातक भारतीय इलायची की खरीद में ज्यादा दिलचस्पी दिखते हैं क्योंकि इसकी क्वालिटी बेहतर होती है।
पिछले दिन आयोजित एक नीलामी में 74 टन से कुछ अधिक इलायची की आवक हुई और इसका औसत नीलामी रुपए 1617 रुपए प्रति किलो के करीब रहा। 3 जनवरी को आयोजित नीलामी में इलायची का भाव 1665 रुपए प्रति किलो के आसपास दर्ज किया गया था।
केरल के इडुक्की, वायनाड एवं पठानमथिट्टा जैसे प्रमुख उत्पादक जिलों में इस बार मौसम एवं वर्षा की हालत बेतरतीब रही जिससे इलायची की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा। खपत वाले केन्द्रों में इलायची का भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर बना हुआ है।
अप्रैल-अक्टूबर 2023 के सात महीनों में देश से 2375.06 टन हरी इलायची का निर्यात हुआ जिससे 340.21 करोड़ रुपए की आमदनी हुई। इसके मुकाबले अप्रैल-अक्टूबर 2022 के सात महीनों में 561.99 करोड़ रुपए मूल्य की 4828.86 टन इलायची का निर्यात किया गया था।