iGrain India - करनाल । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के निर्णय से हरियाणा के राइस मिलर्स काफी चिंतित और परेशान हैं। दरअसल पहले मिलर्स को कस्टम मिलिंग चावल (सीएमआर) का स्टॉक खाद्य निगम के निकटवर्ती गोदामों में जमा करना होता था मगर अब इसे दूर-दराज के गोदामों से जोड़ने का निर्णय लिया गया है।
इससे राइस मिलर्स में काफी असंतोष और नाराजगी है क्योंकि इस नई व्यवस्था के कारण उसे अनेक समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है।
मिलर्स के मुताबिक खाद्य निगम के इस फैसले से सीएमआर की परिवहन लागत बढ़ जाएगी और इसमें समय भी ज्यादा लगेगा। इसके फलस्वरूप निर्धारित डिलीवरी समयावधि के अंदर कस्टम मिलिंग चावल की आपूर्ति करने में मिलर्स को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। मिलिंग चावल की आपूर्ति करने में मिलर्स को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
हरियाणा राइस मिलर्स एंड मिलर्स एसोसिशन के करनाल जिलाध्यक्ष का कहना है कि खाद्य निगम ने विंग्स ऐप के जरिए चावल मिलों को दूर-दराज के गोदामों से सम्बद्ध कर दिया है जिससे मिलर्स को अतिरिक्त खर्च का भार उठाना पड़ रहा है।
दूसरी ओर मिलर्स को अपना भुगतान हासिल करने के लिए लम्बा इंतजार पड़ रहा है क्योंकि उन गोदामों पर खाद्य निगम के अधिकारियों को कस्टम मिलिंग चावल की गुणवत्ता को जांचने और उसे सत्यापित (वेरिफाइड) करने में ज्यादा वक्त लग रहा है।
आमतौर पर प्रचलित नियम के अनुसार राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग चावल के 25 प्रतिशत भाग को दिसम्बर के अंत तक तथा 20 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्से को जानकारी की समाप्ति तक खाद्य निगम के गोदामों में जमा करना आवश्यक होता है।
लेकिन मौजूदा मिलिंग व्यवस्था के कारण मिलर्स को दूरस्थ गोदामों में चावल जमा करवाने के लिए विवश होना पड़ रहा है जिससे खर्च बढ़ने के साथ-साथ कई असुविधाएं भी हो रही हैं।
खाद्य निगम को इस नई रणनीति पर दोबारा विचार करना चाहिए और मिलर्स को ऐसे नजदीकी गोदामों पर चावल जमा करने की अनुमति मिलनी चाहिए जहां पर्याप्त स्थान मौजूद हो।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रण के अनुसार मिलर्स की कठिनाइयों से खाद्य निगम के अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है और जल्दी ही इसका समाधान होने की उम्मीद है।