iGrain India - मुम्बई । कॉमोडिटी पार्टीशिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) के प्रबंधन हेतु कॉमोडिटी एक्सचेंजों में पुट ऑप्शंस का उपयोग करने का सुझाव दिया है ताकि कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
इसी तरह एसोसिएशन ने गतिमान डेरिवेटिव्स मार्केट की वकालत करते हुए किसानों के हित संरक्षण हेतु बेहतर भंडारण सुविधाओं के विकास-विस्तार की जरूरत पर भी जोर दिया है।
एसोसिएशन का कहना है कि एमएसपी प्रबंधन के लिए कॉमोडिटी एक्सचेंजों में पुट ऑप्शंस के एक मैकेनिज्म के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए।
सरकार को प्रेषित अपने बजट पूर्व ज्ञापन में एसोसिएशन ने कहा है कि मौसमी हालातों से फसल को होने वाले नुकसान के लिए किसानों को फसल बीमा का कवर प्राप्त होता है लेकिन फिर भी उत्पादक मूल्य जोखिम के खतरे से उबर नहीं पाते हैं।
सरकार एक छोटे प्रीमियम का भुगतान तथा एक पुट ऑप्शन की खरीद करके किसानों की सहायता कर सकती है। इससे किसानों को भविष्य की तिथि में पूर्व निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना उत्पाद बेचने का विकल्प प्राप्त हो सकेगा।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उसके उत्पाद के लिए एक गारंटी युक्त न्यूनतम मूल्य प्राप्त होगा। अगर खुले बाजार में उत्पाद का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा हो तो किसान वहां भी अपना उत्पाद बेच सकते हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि कॉमोडिटी फ्यूचर्स तथा ऑप्शंस किसानों एवं अन्य उत्पादकों को उनके आगामी उत्पादन की कीमतों को 'लॉक इन' करने में सहायता करते हैं और उसके दाम में आने वाले उतार-चढ़ाव को जोखिम से बचाते हैं।
पक्षकार कच्चे माल अथवा तैयार उत्पादों पर होने वाले अपने व्यय को सिक्योर करते हुए कॉमोडिटी डेरिवेटिव्स से लाभान्वित होते हैं और जिंसों की कीमतों में आने वाली तेजी-मंदी से अपने लाभांश को प्रभावित नहीं होने देते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सात जिंसों में वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध की समय सीमा को चालू वर्ष के अंत तक के लिए बढ़ा दिया है जिसमें प्रमुख कृषि जिंस एवं उसके डेरिवेटिव्स भी शामिल हैं
क्योंकि घरेलू बाजार में इसका दाम ऊंचा होने का खतरा है। इसके बावजूद सीपीएआई ने सरकार को कृषि जिंसों के लिए पुट ऑप्शंस का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।