iGrain India - नई दिल्ली । विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के तहत हो रही निकासी के कारण केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक लगातार घटता जा रहा है जबकि खरीफ कालीन धान-चावल की सरकारी खरीद में भी गिरावट आ रही है। गेहूं के नए माल की खरीद अप्रैल में आरंभ होती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2024 को केन्द्रीय पूल में 345.29 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था जिसमें 181.76 लाख टन चावल तथा 163.53 लाख टन गेहूं की मात्रा शामिल थी।
इसके अलावा भारतीय खा द्य निगम (एफसीआई) के स्वामित्व में 499.58 लाख टन धान का स्टॉक भी उपलब्ध था जिसका अधिकांश भाग कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलर्स को आवंटित हो चुका था। 1 जनवरी 2024 को खाद्य निगम के पास 1.77 लाख टन मोटे अनाजों का स्टॉक भी मौजूद था।
इसके मुकाबले 1 दिसम्बर 2023 को केन्द्रीय पूल में 183.57 लाख टन चावल तथा 191.96 लाख टन गेहूं के साथ कुल 375.53 लाख टन खाद्यान्न का सटक उपलब्ध था जबकि धान की मात्रा 376.29 लाख टन तथा मोटे अनाजों की मात्रा 1.83 लाख टन थी।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि एक माह के अंदर गेहूं के स्टॉक में 28.43 लाख टन की भारी गिरावट आ गई जबकि चावल का स्टॉक महज 1.81 लाख टन कम हुआ।
दरअसल खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं का जबरदस्त उठाव हो रहा है जिससे इसके स्टॉक में तेजी से गिरावट आ रही है। जनवरी मार्च 2024 की तिमाही के दौरान भी गेहूं का भारी उठाव होने की उम्मीद है।
1 जनवरी 2023 को सरकारी गोदामों में केवल 297.05 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूद था जिसमें 125.35 लाख टन चावल तथा 171.70 लाख टन गेहूं का भंडार शामिल था। इसके साथ-साथ 476.19 लाख टन धान तथा 1.17 लाख टन मोटे अनाज का स्टॉक भी उपलब्ध था।
ओएमएसएस के तहत 28 जून 2023 से 10 जनवरी 2024 के बीच करीब 62.50 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई और अब इसकी साप्ताहिक औसत बिक्री 3.50 लाख टन से ऊपर पहुंच गई है।
इसके फलस्वरूप 1 अप्रैल 2024 को नया रबी मार्केटिंग सीजन आरंभ होने तक केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर काफी नीचे आ सकता है।