iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा है कि गेहूं, चीनी तथा चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास नहीं है और इसलिए यह प्रतिबंध अभी जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है कि मई 2022 से गेहूं, जून 2023 से चीनी तथा जुलाई 2023 से गैर बासमती सफेद चावल के निर्यत पर प्रतिबंध लागू है। इससे पूर्व सितम्बर 2022 में 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई थी जो अब भी जारी है।
खाद्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल विदेशों से चीनी तथा गेहूं के आयात की कोई योजना नहीं है क्योंकि देश में इसका समुचित स्टॉक मौजूद है।
सरकार का ध्यान विभिन्न खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने पर केन्द्रित है और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश हो रही है इसलिए फिलहाल निर्यात खोलने के बारे में नहीं सोचा जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने कीमतों में बढ़ोत्तरी को रोकने के उद्देश्य से इन महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था।
चूंकि इसका भाव अब भी सामान्य स्तर पर नहीं आया है इसलिए सरकार के लिए इसके शिपमेंट की अनुमति देना मुश्किल है। अगले कुछ महीनों में देश में लोकसभा के लिए आम चुनाव होना है और ऐसे समय में निर्यात खोलकर सरकार कोई अतरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहेगी।
दूसरी ओर दलहनों एवं खाद्य तेलों के आयात को सुगम बनाने का प्रयास भी जारी है। इसके फलस्वरूप देश में विशाल मात्रा में इसका आयात हो रहा है।
घरेलू तुवर की नई फसल की आवक भी शरू हो चुकी है जबकि सरकार का मानना है कि इस बार रबी सीजन में मसूर का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है और भारत इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा को पीछे छोड़कर दुनिया में मसूर का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन सकता है।
इसका क्षेत्रफल 19 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच चुका है जबकि इसका उत्पादन 16 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। दिलचस्प तथ्य यह है कि निर्यात प्रतिबंधों के बावजूद चावल, चीनी, गेहूं एवं आटा के दाम में अपेक्षित गिरावट नहीं आई है।