iGrain India - नई दिल्ली । खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने हेतु सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद दाल- दलहनों का भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है और उसमें अपेक्षित नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
दिसम्बर 2023 में दाल-दलहन की महंगाई दर बढ़कर 20.73 प्रतिशत पर पहुंच गई। अरहर (तुवर) की अगुवाई में दलहन का भाव तेज हुआ है। ध्यान देने की बात है कि दिसम्बर 2022 में दाल-दलहन की महंगाई दर महज 3.15 प्रतिशत रही थी।
इस तरह महज एक साल के अंदर इस महंगाई दर में 17.58 प्रतिशत बिंदु की जोरदार बढ़ोत्तरी हो गई। इससे आम उपभोक्ताओं का चिंतित होना स्वाभाविक है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 15 जनवरी 2024 को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि दिसम्बर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई और दाल-दलहनों की महंगाई दर बढ़कर 19.60 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस तरह पिछले एक साल के दौरान इसकी थोक एवं खुदरा महंगाई दर में भारी इजाफा दर्ज किया गया।
कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी अरहर (तुवर) में देखी गई क्योंकि इसकी मांग एवं खपत अपेक्षाकृत अधिक होती है। उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर 14 जनवरी को तुवर दाल का औसत खुदरा मूल्य 151.88 रुपए प्रति किलो रहा जो एक वर्ष पूर्व प्रचलित मूल्य 110.83 रुपए प्रति किलो से 37 प्रतिशत या 41.05 रुपए प्रति किलो ज्यादा है। यह स्थिति तब है जब हाल के दिनों में तुवर एवं इसकी दाल की कीमतों में कुछ नरमी आई थी।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान उड़द दाल का खुदरा भाव 106.41 रुपए प्रति किलो से 15.13 प्रतिशत बढ़कर 122.51 रुपए प्रति किलो तथा मूंग दाल का खुदरा मूल्य 103.01 रुपए प्रति किलो से 12.48 प्रतिशत बढ़कर 115.87 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया। इस तरह इन तीनों प्रमुख दालों का दाम 100 रुपए प्रति किलो से ऊपर ही चल रहा था।
विदेशों से भारी मात्रा में तुवर एवं उड़द के साथ-साथ मसूर क भी आयात हो रहा। मसूर का दाम अब एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर हो गया है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही है। मसूर दाल की कीमतों में भी ज्यादा तेजी नहीं देखी जा रही है।
यही स्थिति चना की भी है। चालू रबी सीजन में यद्यपि चना के बिजाई क्षेत्र में लगभग 7 लाख हेक्टेयर की भारी गिरावट आई है लेकिन मसूर का क्षेत्रफल बढ़ा है और ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा से रिकॉर्ड मात्रा में इसका शुल्क मुक्त आयात भी हो रहा है।
अब तुवर की नई फसल भी आने लगी है जबकि म्यांमार से इसका आयात बढ़ने की उम्मीद है इसलिए सरकार को भरोसा है कि अगले महीने इसके दाम में कुछ और नरमी आ सकती है।
उड़द का आयात मार्च से बढ़ सकता है जबकि मूंग के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पीली मटर का आयात 31 मार्च तक जारी रहेगा।