iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने शीरा के निर्यात पर 50 प्रतिशत का शुल्क लगाने का फैसला लिया है जो 18 जनवरी 2024 से प्रभावी होगा।
मालूम हो कि चीनी की रिफाइनिंग या उसके एक्सट्रैक्शन से मीरा का निर्माण होता है जिसका उपयोग एथनॉल उत्पादन में किया जाता है।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि चीनी की रिफाइनिंग से प्राप्त शीरा पर 50 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया जाएगा।
मंत्रालय की एक अन्य अधिसूचना के अनुसार पाम, सोयाबीन तथा सूरजमुखी के क्रूड एवं रिफाइंड श्रेणी के खाद्य तेलों पर आयात शुल्क की मौजूदा रियायती दर की अवधि को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2025 तक नियत किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून 2023 में रिफाइंड श्रेणी के सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत नियत कर दिया था।
सरकार वस्तुत: खाद्य उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सभी हथकंडे अपना रही है। चूंकि एथनॉल निर्माण निर्माण में गन्ना जूस एवं शुगर सीरप के इस्तेमाल को नियंत्रित करने का फरमान पहले ही जारी हो चुका है इसलिए सरकार को संदेह है कि मिलर्स शीरा का निर्यात बढ़ने की भरपूर कोशिश कर सकते हैं क्योंकि चीनी के निर्यात पर पाबन्दी लगी हुई है।
शीरा का भारी निर्यात होने पर अल्कोहल का घरेलू उत्पादन प्रभावित हो सकता था और इसके दाम में भारी उछाल आ सकता था इसलिए सरकार ने निर्यात को नियंत्रित करने हेतु इस पर 50 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया। इसके फलस्वरूप अब वैश्विक निर्यात बाजार में भारतीय शीरे की प्रतिस्पर्धी क्षमता घट जाएगी और इसका निर्यात काफी घट जाएगा।
जहां तक खाद्य तेलों का सवाल है तो विदेशों से जबरदस्त आयात होने के कारण घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी हुई है हुई है और कीमतों में भी कोई खास तेजी नहीं देखी जा रही है। सरकार इसमें यथा स्थिति बनाए रखना चाहती है।