iGrain India - नई दिल्ली । खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की तो शानदार बिक्री हो रही है मगर चावल की बिक्री संतोषजनक ढंग से नहीं हो रही है।
इसे देखते हुए सरकार इस चावल के न्यूनतमआरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) में भारी कटौती करने पर विचार कर रही है ताकी इसकी खरीद के प्रति व्यापारियों को आकर्षित किया जा सके। खुल बाजार में भी चावल का भाव मजबूत बना हुआ है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय चावल के रिजर्व मूल्य में कटौती करने पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर रह है ताकि इसका उठाव बढ़ाया जा सके और खुले बाजार में इसके खुदरा मूल्य को घटाया जा सके।
सरकार आम उपभोक्ताओं को सस्ते दाम पर चावल की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहती है। यदि चावल के रिजर्व मूल्य में कटौती के प्रस्ताव को मंत्रियों की समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है तो अगले सप्ताह आयोजित होने वाली नीलामी से इसे क्रियान्वित (लागू) किया किया जा सकता है।
वर्तमान समय में ओएमएसएस वाले चावल का रिजर्व मूल्य में कटौती के प्रस्ताव को मंत्रियों की समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है तो अगले आयोजित होने वाली नीलामी से इसे क्रियान्वित (लागू) किया जा सकता है।
वर्तमान समय में ओएमएसएस वाले चावल का रिजर्व मूल्य 2900 रुपए प्रति क्विंटल नियत है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि इसे 300 रुपए घटकर 2600 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पहले चावल का रिजर्व मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ था जिसे पिछले साल मध्य अगस्त में घटाकर 2900 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था ताकि इसकी बिक्री बढ़ाई जा सके।
इसी तरह पहले बिडर्स (खरीदारों) के लिए प्रत्येक नीलामी में कम से कम 10 टन चावल की खरीद के लिए बिड देने की अनुमति दी गई थी मगर हाल ही में इसकी मात्रा घटाकर 1 टन नियत की गई ताकि छोटे-छोटे खरीदारों को भी इस चावल की खरीद का अवसर मिल सके।
इसी तरह तरह किसी एक नीलामी में मिलर्स या व्यापारियों द्वारा खरीद जाने वाले चावल की अधिकतम मात्रा को भी दोगुना बढ़ाकर 2000 टन नियत का दिया गया है। लेकिन इन उपायों का चावल पर कोई खास असर नहीं पड़ा।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा 10 जनवरी को आयोजित साप्ताहिक नीलामी में 1.85 लाख टन चावल की बिक्री का ऑफर दिया गया था मगर इसमें से केवल 7 हजार टन की ही बिक्री हो सकी।
5 जुलाई 2023 से चावल की बिक्री के लिए साप्ताहिक ई- नीलामी आयोजित हो रही है और अब तक सिर्फ 1.55 लाख टन की बिक्री संभव हो सकी है।