iGrain India - नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने अपने विश्व खाद्य कार्यक्रम (वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम) के लिए चावल की खरीद हेतु जारी किए जाने वाले टेंडर में भारतीय निर्यातकों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उसका कहना है कि भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है इसलिए उसके निर्यातक यूएन की निविदा में शामिल नहीं हो पायेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत संसार में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है और इसके कुल वैश्विक कारोबार में 40 प्रतिशत का योगदान देता है।
घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार ने सितम्बर 2022 में 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद अगस्त 2023 में गैर बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाते हुए बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (सेप) नियत किया गया।
लेकिन सरकारी तौर पर चावल का निर्यात खुला रहा और पड़ोसी देशों के साथ-साथ अन्य मित्र देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए टुकड़ी चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात कोटा आवंटित किया गया।.
इसमें इंडोनेशिया, नेपाल, सेनेगल, गाम्बिया, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, मलेशिया, सिंगापुर एवं फिलीपींस जैसे देश भी शामिल हैं।
वर्ल्ड फूड प्रोगाम (डब्ल्यूएफसी) के टेंडर दस्तावेज में कहा गया है कि भारत से चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए भारत से निर्यात होने वाले भारतीय मूल के चावल को स्वीकार नहीं किया जाएगा और न ही निर्यातकों को इस टेंडर में भाग लेने की अनुमति होगी।.
भारत में निर्यात प्रतिबंध के बावजूद चावल का भाव ऊंचा चल रहा है। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र एशिया तथा अफ्रीका के गरीब देशों को अपने विश्व खाद्य कार्यक्रम के जरिए खाद्य सहायता उपलब्ध करवाता है।