iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने हेतु सरकार द्वारा निरंतर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने एक तरफ शीरा के निर्यात पर 50 प्रतिशत का भारी- भरकम सीमा शुल्क लगा दिया है तो दूसरी ओर रियायती मूल्य पर खाद्य तेलों के आयात की समय सीमा एक साल के लिए बढ़ा दी है।
जून में जारी एक अधिसूचना में केन्द्र सरकार ने 31 मार्च 2024 तक रियायती मूल्य पर खाद्य तेलों के आयात की अनुमति दी थी लेकिन अब यह अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है।
सरकार ने रिफाइंड श्रेणी के सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क की दर 17.5 प्रतिशत से घटकर 12.5 प्रतिशत निर्धारित की थी और यह शुल्क दर आगे भी तब तक बरकरार रहेगी जब तक सरकार इसमें कोई बदलाव नहीं कर देती।
ध्यान देने वाली बात है कि भारत में मुख्यत: क्रूड पाम तेल, क्रूड डिगम्ड सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों के संवर्ग में केवल आरबीडी पामोलीन का आयात होता है जिसे इंडोनेशिया एवं मलेशिया से मंगाया जाट है।
चूंकि देश में रिफाइंड सोयाबीन तेल तथा रिफाइंड तेल का आयात नहीं या नगण्य होता है इसलिए इस पर आयात शुल्क की दर में हुई कटौती का ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों का भाव आमतौर पर स्थिर या नरम चल रहा था जो अब कुछ तेज हुआ है। लेकिन इससे घरेलू प्रभाग में कीमतों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
काला सागर क्षेत्र के बंदरगाहों से सूरजमुखी तेल के निर्यात शिपमेंट की गति धीमी पड़ गई है क्योंकि वहां भयंकर ठंड एवं निम्न तापमान के कारण बंदरगाह जमने लगा है। यह अस्थायी घटना है और मौसम में गर्मी बढ़ने के साथ ही शिपमेंट की सामान्य गति हो जाएगी।