iGrain India - मंगलोर । सेन्ट्रल अरेकानट एंड कोकोआ मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग को ऑपरेटिव (कैम्पको) ने कहा है कि सुपारी के आयात पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए हाल के फैसले से भारतीय सुपारी उत्पादकों के लिए चुनौतियां और भी बढ़ जाएगी जबकि पहले से ही उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री तथा वाणिज्य मंत्री को प्रेषित एक पत्र में कैम्पको के अध्यक्ष ने कहा है कि श्रीलंका से सुपारी के आयात पर कस्टम विभाग ने जो शर्तें लगाई थीं उसमें रियायत देने क लिए सुपारी आयातकों ने मद्रास है कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
इस पर अदालत ने जो फैसला दिया है उसके अनुसार कस्टम विभाग को श्रीलंका से आयातित सुपारी के लिए बैंक गारंटी जमा करवाने पर जोर नहीं देना चाहिए और उसके लिए केवल एक मूल उदगम प्रमाण पत्र की ही मांग करनी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि इस अदालती निर्णय के कारण इस बात की चिंता बढ़ गई है कि सुपारी के आयातक इस छूट का दुरूपयोग कर सकते हैं
और श्रीलंका से सुपारी के आयात में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो सकती है जिससे घरेलू बाजार में इसकी भरमार हो जाएगी और कीमतों में गिरावट आएगी। आयात की शर्तों में छूट दिए जाने से स्वदेशी सुपारी उत्पादकों के हितों को भारी धक्का लगने की आशंका है।
कैम्पको के अध्यक्ष ने कहा है कि मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय सुपारी उत्पादकों के लिए घातक साबित हो सकता है। इन उत्पादकों को पहले से ही अनेक चुनौतियों एवं बाधाओं का सामना करना पड़ रह है।
इसे ध्यान में रखते हुए सरकार को इस मामले में यथाशीघ्र आवश्यक एहतियाती कदम उठाना चाहिए और उत्पादकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसे जरुरी सहयोग- समर्थन प्रदान करना चाहिए।
इससे पूर्व मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक अन्य आदेश में कहा था कि सुपारी आयात के लिए जो पूल उदगम प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए उसका सत्यापन 30 दिनों के अंदर होना आवश्यक है।
यदि 30 दिनों की नियत अवधि में प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं होता है तो याचिकाकर्ता (आयातक) को उत्पाद के कुल मूल्य के लिए एक बांड पर उत्पाद को जारी किया जा सकता है और इसमें भी बैंक गारंटी पर जोर नहीं दिया जाएगा।