iGrain India - हैदराबाद । भारत से 100 प्रतिशत टूटे (टुकड़ी) चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने से वैश्विक बाजार में चावल की कुल आपूर्ति में 20 लाख टन की गिरावट आ गई है।
इतना ही नहीं बल्कि चावल के वैश्विक बकाया अधिशेष स्टॉक में भी 50 से 80 लाख टन की भारी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है जिससे कीमतों में तेजी-मजबूती का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।
भारत से चावल के निर्यात में कमी आ रही है। 25 अगस्त से इसमें अब तक 46.70 लाख टन की कमी आ चुकी है। अन्य निर्यातक देशों द्वारा करीब 20 लाख टन अतिरिक्त चावल की आपूर्ति की गई लेकिन फिर भी कुल आपूर्ति में 20 लाख टन से अधिक की गिरावट आ गई।
इंटरनेशनल ग्रेन्स कौंसिल के अनुसार टुकड़ी चावल एवं सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात बंद होने के बावजूद भारत 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना रहेगा।
वर्ष 2024 में चावल के वैश्विक कारोबार में 2 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है जिसका प्रमुख कारण एशियाई देशों में मांग कुछ कमजोर पड़ना बताया जा रहा है। इसमें इंडोनेशिया मुख्य रूप से शामिल है। भारत लम्बे अंतराल के साथ दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना रहेगा।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने कहा है कि भारत के निर्यात प्रतिबंध का विभिन्न तरह से वैश्विक बाजार पर असर पड़ रहा है। दरअसल अनेक आयातक देश कच्चे (सफेद) चावल के लिए भारत पर ही काफी हद तक आश्रित रहे हैं और एकाएक इसका शिपमेंट बंद होने से उन देशों का प्रभावित होना स्वाभविक ही है।
वर्ष 2022 में भारत से अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र के देशों में चावल का जितना निर्यात हुआ इसमें लगभग आधा भाग सेला चावल का था जिसका अधिकांश शिपमेंट पश्चिम अफ्रीकी देशों को हुआ था।
भारत से सेला चावल का निर्यात बंद नहीं हुआ है बल्कि इस पर सिर्फ 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया गया है। लेकिन सहारा क्षेत्र के जिन देशों में सफेद चावल का भारी निर्यात हो रहा था वहां इसका शिपमेंट जरूर ठप्प पड़ गया है।