iGrain India - नई दिल्ली । लाल सागर (रेड सी) क्षेत्र में ईरान समर्थित समय के हुती विद्रोहियों द्वारा मालवाहक जहाजों पर किए जा रहे हमलों के कारण सामुद्रिक यातायात बाधित हो रहा है जिससे मध्य पूर्व के देशों से भारत में रासायनिक उर्वरकों की अपूर्ति में न केवल देर हो रही है बल्कि इसका परिवहन खर्च भी बढ़ गया है।
इससे भारत में उर्वरक सब्सिडी बिल में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। शिपमेंट में करीब 15 दिनों का विलम्ब होने लगा है क्योंकि जहाजों को लम्बे रूट से भारत भेजा जा रहा है। यदि लम्बे समय तक वह संकट बरकरार रहा तो उर्वरकों के वैश्विक बाजार मूल्य में और भी तेजी आ सकती है। पहले भी ऐसा हो चुका है।
भारत में अभी रबी फसलों की खेती हुई है और इसके लिए भारी मात्रा में उर्वरकों की जरूरत पड़ेगी। भारतीय कंपनियों को वैकल्पिक मार्ग से उर्वरक मंगाना पड़ रहा है जो अधिक खर्चीला बैठ रहा है।
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन का कहना है कि डिलीवरी में 14-15 दिन का अतिरिक्त समय लगने से किराया-भाड़ा में इजाफा हो रहा है। पूर्व में जो अनुबंध हुए थे उसके तहत 31 दिसम्बर 2023 तक के शिपमेंट के लिए निर्यातकों ने बीमा खर्च एवं परिवहन व्यय में होने वाली वृद्धि का भार खर्च उठाया था।
अब जनवरी तथा इससे आगे की अवधि में होने वाले शिपमेंट के लिए भी आयातकों एवं निर्यातकों के बीच बातचीत हो रही है।
भारत में जॉडर्न तथा इजरायल से बड़े पैमाने पर उर्वरकों का आयात किया जाता है मगर लाल सागर में संकट से वहां से शिपमेंट प्रभावित होने की आशंका है। वहां से अभी करीब एक लाख टन उर्वरक (फर्टिलाइजर) को भारत के लिए भेजा जाता है। इजरायल से करीब 5 लाख टन एमओपी का वार्षिक आयात किया जाता है।