iGrain India - नई दिल्ली। तिल के एक अग्रणी उत्पादन, खपतकर्ता एवं निर्यातक देश- भारत में इस महत्वपूर्ण तिलहन का भाव पिछले कई महीनों से ऊंचे स्तर पर चल रहा है और आने वाले समय में इसमें कुछ और सुधार आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
एक संस्थान के अनुसार इरोड जिले के शिनसिटी मार्केट में पिछले 12 वर्षों के औसत मूल्य का विश्लेषण करने से पता चलता है कि अप्रैल में रबी कालीन फसल की कटाई-तैयारी के समय अच्छी क्वालिटी के तिल का भाव 170-175 रुपए प्रति क्विंटल की उंचाई पर रह सकता है।
तमिलनाडु में रबी कालीन तिल का रकबा घट गया है और भारी वर्षा से कई इलाकों में रह सकता है। तमिलनाडु में रबी कालीन तिल का रकबा घट गया है और भारी वर्षा से कई इलाकों में फसल क्षति ग्रस्त भी हो गई है। दूसरी ओर इसकी मांग एवं खपत बढ़ रही है। इसके फलस्वरूप तिल का दाम आगामी महीनों में भी ऊंचा एवं तेज रहने के आसार हैं।
खरीफकालीन तिल का बिजाई क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर 2022-23 के 13.44 लाख हेक्टेयर से घटकर 2023-24 में 12.43 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया। इसी तरह रबी कालीन तिल के क्षेत्रफल में भी गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं।
तमिलनाडु में तिल की बिजाई पहले दिसम्बर-जनवरी में और फिर अप्रैल-मई में होनी है। इसके अलावा ग्रीष्मकाल के दौरान भी सिंचित इलाकों में सीमित क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। मुख्यत: सफेद एवं काले तिल का उत्पादन होता है जबकि कहीं-कहीं लाल एवं भूरे रंग (ब्राउनी) वाले तिल की खेती भी की जाती है।
सूडान के बाद भारत को तिल का दूसरा प्रमुख तिल उत्पादक देश माना जाता है। अफ्रीका के कई अन्य देशों में भी तिल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। तिल के निर्यात में भारत को एक अग्रणी देश माना जाता है।
यहां से अमरीका, रूस, वियतनाम, चीन दक्षिण कोरिया एवं जापान सहित कई अन्य देशों को तिल का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है।
भारत में तिल के प्रमुख उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल , गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु आदि शामिल हैं। तमिलनाडु में तिल का अधिकांश उत्पादन विल्लुपुरम, तंजावुर, इरोड, करूर, कुड्डालोर, तिरुअन्नामलाई, तिरुवल्लुर एवं सलेम जिलों में होता है।
उत्पादन एवं स्टॉक कम होने तथा मांग एवं खपत बढ़ने से तिल का भाव ऊंचा चल रहा है और निकट भविष्य में इसमें नरमी आने की संभावना काफी कम है।
ऊंचे घरेलू बाजार भाव के कारण तिल का निर्यात प्रदर्शन कुछ कमजोर पड़ सकता है। भारतीय निर्यातकों को अफ्रीकी देशों से कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है जिसमें सूडान के अलावा नाइजीरिया, तंजानिया एवं मोजाम्बिक आदि शामिल हैं।
चीन पहले भारत से भारी मात्रा में तिल मंगाता था मगर अब वहां अफ्रीकी देशों से इसका विशाल आयात होने लगा है।