iGrain India - पुणे। महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त कार्यलय से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान चीनी मिलों द्वारा किसानों से खरीदे गए गन्ना के कुल मूल्य के 96 प्रतिशत भाग का अब तक भुगतान किया जा चुका है।
आंकड़ों के अनुसार इस बार महाराष्ट्र में कुल 202 चीनी मिलें सक्रिय हुईं और उसमें 441.01 लाख टन गन्ना की क्रशिंग हुई। केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना के उचित एवं लाभप्रद मूल्य (एफआरपी) के आधार पर इस खरीदे गए गन्ना के लिए चीनी मिलों को 13,642 करोड़ रुपए का भुगतान करता था।
इसमें से मिलर्स द्वारा 13,056 करोड़ रुपए या 96 प्रतिशत भाग का भुगतान किसानों को कर दिया गया है और अब चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का केवल 586 करोड़ रुपए का बकाया मौजूद है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 85 चीनी मिलों में गन्ना के मूल्य का 100 प्रतिशत भुगतान कर दिया है जबकि 50 मिलों द्वारा एफआरपी के 60 से 80 प्रतिशत भाग का भुगतान किया गया है।
लेकिन शेष 117 चीनी मिलों पर अब भी गन्ना किसानों का बकाया मौजूद है जिससे किसान संगठनों में आक्रोश है। इन संगठनों ने चीनी मिलों से गन्ना मूल्य की बकाया राशि का यथाशीघ्र भुगतान करने की मांग की है।
महाराष्ट्र के सीमावर्ती किसानों और खासकर कर्नाटक की सीमा से लगे देशों में रहने वाले किसानों से आग्रह किया जा रहा है कि वे दूसरे राज्यों में गन्ना की बिक्री न करें क्योंकि स्वयं महाराष्ट्र में उत्पादन घटने से इस बार गन्ना का भारी अभाव महसूस किया जा रहा है।
इस बीच महाराष्ट्र और खासकर विदर्भ संभाग के किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि चीनी मिलों द्वारा गन्ना के उठाव में देर की जा रही है जबकि बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है। इससे गन्ना की उपज दर पर सीधा असर पड़ने की आशंका है।
वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष का कहना है कि चीनी मिलों को गन्ना के अभाव की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र में हाल की बारिश से फसल को फायदा हुआ है और इसके उत्पादन में 8-10 प्रतिशत तक की अप्रत्याशित इजाफा होने की उम्मीद है। उपज दर में अच्छी वृद्धि होने से चीनी के उत्पादन में सुधार आ सकता है।