iGrain India - नई दिल्ली । बीएसएएफ द्वारा आयोजित SAAS 2024 समिट जो थाईलैंड में 18-20 जनवरी को आयोजित की गई में, एशिया, यूरोप एवं उत्तरी अमरीका जैसे महाद्वीपों के 23 देशों से प्रतिनिधि आए, जिसमेँ कनाडा जैसे दूरस्थ देश भी शामिल हैं।
इस महासम्मेलन में दलहन एवं तिलहन-तेल के साथ-साथ चावल, मसाले, मोटे अनाज एवं चीनी आदि जिंसों के उद्यमी-व्यापारी तथा अन्य सम्बद्ध पक्ष सम्मिलित हुए। यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा। इस कार्यक्रम में सरकार के कई प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम में नेफेड के एडिशनल एम डी श्री एस के सिंह के खाद्य सुरक्षा में किए गए उत्कृष्ट कार्य को देख सर्वोत्तम योगदान अवार्ड से नवाज़ा गया।
शामिल दलहन-तिलहन एवं खाद्य तेल के सभी पैनलिस्ट ने श्री एस के सिंह तथा नेफेड की प्रशंसा करते हुए कहा कि यदि एजेंसी के पास स्टॉक नहीं होता तो देश में दलहनों की आपूर्ति की स्थिति काफी खराब हो जाती।
श्री सिंह ने कहा कि नेफेड का इरादा प्रतिस्पर्धा का नहीं बल्कि सहयोग का रहा है। एजेंसी अपने स्टॉक से नियमित रूप से सरसों तथा चना की बिक्री कर रही है ताकि घरेलू बाजार में दालों एवं खाद्य तेल की उपलब्धता की स्थिति सुगम रहे और आम उपभोक्ताओं को महंगाई की मार से बचाया जा सके।
इस बार सरसों की फसल काफी अच्छी है और इसलिए इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं। नई फसल की कटाई-तैयारी के पीक सीजन में जब मंडियों में आवक तेजी से बढ़ेगी तब सरसों का भाव घट सकता है।
इसे देखते हुए नैफेड द्वारा भारी मात्रा में इसकी खरीद की तैयारी की जा रही है। वर्ष 2023 के रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान नेफेड एजेंसी द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर लगभग 12 लाख टन सरसों की खरीद की गई। अब इस स्टॉक की निकासी (बिक्री) जारी है। सरसों का थोक मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है।
श्री सिंह के अनुसार यदि आवश्यकता पड़ी तो किसानों के हितों की रक्षा एवं उसके फायदे के लिए नेफेड द्वारा इस वर्ष 25 लाख टन तक सरसों की खरीद की जा सकती है।
तुवर की खरीद के लिए ऑन लाइन पोर्टल क्रियाशील हो चुका है और किसानों का रजिस्ट्रेशन चल रहा है। उससे तुवर की खरीद भी आरंभ हो गई है।
तुवर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7000 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है जबकि किसानों को 9000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊंचा भाव मिल रहा है।
चालू रबी सीजन के दौरान भारत में मसूर का क्षेत्रफल बढ़ा है और फसल की हालत भी अच्छी है जिससे उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है। बेहतर उत्पादन एवं ऊंचे आयात से अगले दो वर्ष तक मसूर की उपलब्धता संतोषजनक रहेगी।